उच्च न्यायालय ने सेना और केंद्र सरकार को एक स्वतंत्र खेल निकाय को दिल्ली के छावनी क्षेत्र में रक्षा भूमि से अपना कार्यालय संचालित करने की अनुमति देने के लिए फटकार लगाई।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली राजस्थान इक्वेस्ट्रियन फाउंडेशन व इक्वेस्ट्रियन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के साथ कई विवादों मामलों की सुनवाई कर रही है। अदालत ने इस बात पर आपत्ति जताई कि फउंडेेन के कार्यालय का पता दिल्ली कैंट स्थित बी स्क्वाड्रन, 61 कैवेलरी, करियप्पा बताया गया है।
अदातल ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि सेना एक स्वतंत्र निकाय को अपनी भूमि के उपयोग की अनुमति कैसे दे सकती है। अदालत ने मामले में स्वयं संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार के वकील को सरकार से निर्देश प्राप्त कर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हुए सुनवाई 16 दिसंबर तय की है।
सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से जमीन की मांग की गई थी इसी कारण यह जमीन आवंटित की गई है। ब्रिगेडियर समीर लांबा ने अदालत को बताया कि सेना की एक समृद्ध खेल परंपरा रही है और इसने कई ओलंपियन पैदा किए हैं और घुड़सवारी के संरक्षक रहे हैं।
अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि यदि वह इंडिया गेट मांगेगे तो क्या आप किसी को इंडिया गेट भी देंगे? यह आपका अच्छा आचरण हो सकता है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आप एक निजी निकाय को अपनी जमीन का उपयोग करने की अनुमति कैसे देते हैं? अदालत ने कहा एक स्वतंत्र निकाय को रक्षा उद्देश्यों के लिए निर्धारित भूमि का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
हालांकि सरकार की और से अपने निर्णय को सही ठहराने का प्रयास करते हुए बताया गया कि फाउंडेशन को उसके कार्यालय के लिए केवल एक छोटा 20 फीट गुणा 12 फीट स्थान दिया गया है, लेकिन अदालत ने इस तर्क को खारिज कर दिया।
अदालत ने अधिकारियों को मामले से संबंधित संबंधित फाइलें अदालत के समक्ष पेश करने के अलावा कार्यवाही के दौरान एक सक्षम अधिकारी को मौजूद रहने का निर्देश दिया है।