न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने चार्टर्ड अकाउंटेंट मोहित बंसल द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश दिया। याची ने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स एक्ट की धारा 8 (वी) के तहत उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी गई थी। वर्ष 2001 में एक महिला के साथ मारपीट करने के मामले में उन्हें दोषी ठहराया गया है। अदालत ने नोटिस प्रक्रिया को बरकरार रखते हुए उचित ठहराया है। अदालत ने कहा इस तरह की नीति आवश्यक है और भारतीय चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) को उन सदस्यों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही के बारे में अंधेरे में नहीं रहने के लिए कहा जो इसके रजिस्टर में है। धारा 8 (वी) ‘नैतिक अधमता’ से जुड़े अपराधों से संबंधित है और यह निर्धारित करती है कि यदि किसी व्यक्ति को इस तरह के अधिनियम के तहत दोषी ठहराया जाता है तो उसका नाम आईसीएआई के रजिस्टर में दर्ज होने से रोका जा सकता है। बंसल को पहले आईपीसी की धारा 354 और 506-दो के तहत दोषी ठहराया गया था, लेकिन फरवरी 2010 में उच्च न्यायालय ने सजा कम कर दी थी। अदालत के समक्ष तथ्य आया कि इस तथ्य को आईसीएआई से छिपाकर रखा गया था और एक कारण बताओ नोटिस केवल जून 2018 में जारी किया गया था जिससे उन्हें एक दशक से अधिक समय तक प्रैक्टिस करने की अनुमति मिली। अदालत ने कारण बताओ नोटिस को बरकरार रखते हुए कहा कि कुछ पेशे और सेवाएं है जिन्हें ईमानदारी के बहुत उच्च स्तर की आवश्यकता है और उन्हें महान माना जाता है, सीए होने के नाते उस श्रेणी में आते है।