नई दिल्ली । पाकिस्तान को परमाणु बम की ताकत और पाकिस्तान में परमाणु कार्यक्रम के जनक कहे जाने वाले अब्दुल कादिर खान का रविवार को निधन हो गया। उन्होंने 85 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. उनका जन्म 1936 में भोपाल में हुआ था. अब्दुल कादिर खान को पाकिस्तान में ‘मोहसिन-ए- पाकिस्तान’ यानि ‘पाकिस्तान का रक्षक’ के नाम से भी जाना जाता था.
एक्यू खान ने पाकिस्तान को दुनिया सा खतरनाक हथियार तो दे दिया लेकिन अब पाकिस्तान के यही परमाणु हथियार पूरी दुनिया के लिए एक सिर दर्द बने हुए हैं। खान की मौत के साथ ही आज पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के कई अधूरे रहस्य भी हमेशा के लिए दफन हो गए।
पाकिस्तान के परमाणु हथियार हमेशा से ही खतरे में रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान में कई ऐसी विरोधी ताकतें है अगर इनके हाथों ये हथियार लग गए तो दुनिया में तबाही मच सकती है। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को किसी विरोधी राष्ट्र से नहीं बल्कि भीतर की जिहादी ताकतों से ही सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है।
पाकिस्तान आतंकवाद का गढ़ माना जाता है और समूचे विश्व के लिए यह बेहद खतरे की बात है कि कहीं पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ न लग जाएं यह विश्व के लिए एक बुरे सपने जैसा है और पूरी दुनिया जानती है कि ऐसा पाकिस्तान में संभव है।
1998 में पाकिस्तान के परमाणु शक्ति के रूप में उभरने के बाद से ही देश के परमाणु हथियारों की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक चिंता का विषय रहा है। यह सच है कि इस्लामाबाद पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता। यहां तक की उसके पूर्व सहयोगी अमेरिका ने भी इस पर कई तरह के आर्थिक और सैन्य सहायता पर प्रतिबंध लगाया
पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर चिंता की कई वजहें हैं यह एकमात्र राष्ट्र है जिसके पास परमाणु हथियार और आतंकवादी समूहों का मिश्रण है। आतंकवाद पर हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में कम से कम 12 ऐसे समूह हैं जिन्हें विदेशी आतंकवादी संगठन के तौर पर पहचाना गया है। समूहों का घर है, जिन्हें ‘विदेशी आतंकवादी संगठन’ (पांच भारत-केंद्रित संगठनों सहित) के रूप में नामित किया गया है।
माना जाता है कि ये आतंकी संगठन पाकिस्तान की सुरक्षा और सैन्य संगठनों में भी घुसपैठ कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो पाकिस्तान के 165 परमाणु हथियार इस दांव पर लगे हुए हैं और यह पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है ।
हथियारों के बल पर तालिबान ने बड़ी आसानी से अफगानिस्तान पर सरकार गिराकर अपना कब्जा जमा लिया है। इतना ही नहीं अब तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान के हथियार और गोला बारूद भी नियंत्रण में हैं। अफगानिस्तान के बदले हुए घटना क्रम ने विश्व के सामने जेहादियों के हाथ में परमाणु हथियारों के पड़ने की चिंता फिर से सामने उठ आई है।
अगर इतिहास में देखें तो कई बार पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमले करने का साहस किया गया है लेकिन क्या कभी आतंकियों के हाथ पारमाणु हथियार तक पहुंचे हैं इसके कोई ठोस सबूत नहीं है। हालांकि जांच में पाकिस्तानी सेना में अलकायदा की घुसपैठ का पता चलता है। यह अपने आप में एक बड़ी चिंता है।