कोरोना वायरस के प्रकोप पर कैसे काबू पाया जा सकता है, इसको लेकर राजस्थान का मैनचेस्टर Manchester textile टैक्सटाइल नगर ‘भीलवाड़ा मॉडल’ पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

दरअसल, खतरनाक corona virus कोरोना वायरस से लड़ने के लिए राजस्थान के जान -ए’- बवाल बने इस जिले ने जिस योजनाबद्ध तरीके से काम किया है, इसी वजह से ‘भीलवाड़ा मॉडल’ को पूरे देश मे अपनाया ज रहा है। कोरोना के खिलाफ जंग में अगर भीलवाड़ा मुस्तैदी से डटा रहा तो उसका पूरा श्रेय उस जिले के डीएम राजेंद्र भट्ट को ही जाता है। 

राजस्थान के जोधपुर में जन्मे 56 साल के आईएएस अधिकारी और भीलवाड़ा के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र भट्ट की कार्ययोजना ने ही जिले में खतरनाक कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने में का काम किया। शुरू में एक समय ऐसा आया, जब भीलवाड़ा 27 संक्रमित केसों और दो मौत के बाद राजस्थान में कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बन गया था। कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। डीएम राजेंद्र भट्ट ने कमान संभाली और अपने अंदाज से काम किया और तब जाकर प्रशासन और स्वास्थ्यकर्मियों की मुस्तैदी ने कोरोना के प्रसार को रोकने में कामयाबी हासिल की। 

एक तरह से देखा जाए तो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भीलवाड़ा में न सिर्फ डीएम की सक्रियता दिखी, बल्कि शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे के बीच एक टीम वर्क देखने को मिला। कुल मिलाकर कोरोना के खिलाफ जंग में जो टीम भावना दिखी, उसी का नतीजा है कि आज पूरे देश में इस मॉडल को लागू करने की बात हो रही है। 

भीलवाड़ा में बढ़ते मामले को देखते हुए जांच की गति बढ़ा दी गई, सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया जाने लगा और घर-घर जाकर लोगों की स्क्रीनिंग की जाने लगी। जिले की सीमाओं को सील कर दिया गया, हर किसी की आवाजाही को रोक दिया गया और फिर सरकार द्वारा गठित रैपिड रिस्पॉन्स टीम का जिला प्रशासन ने सही से इस्तेमाल किया। लोगों में कोरोना के लक्षण मिलते ही, उन्हें क्लारंटाइन किया गया, उन पर कड़ी निगरानी रखी गई। 

कौन हैं भीलवाड़ा के डीएम राजेंद्र भट्ट

दरअसल, भीलवाड़ा डीएम राजेंद्र भट्ट 2007 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। राजेंद्र भट्ट एक पीसीएस अधिकारी रहे हैं। वह शुरू से ही आईएस अधिकारी नहीं थे, बल्कि राज्य सरकार द्वारा उन्हें 2007 में आईएएस में प्रमोट किया गया था। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राजेंद्र का मानना है कि जब तक आइसोलेशन, टेस्टिंग और क्वारंटाइनिंग की प्रक्रिया पूरी तरह नहीं हो जाती, हम कोरोना से जीत का दावा नहीं कर सकते। समूचा देश आज इस शख्स के जज्बे और हौसले को सलाम कर रहा है।

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