ब्लैक फंगस से संक्रमित रोगियों के खून में सीरम फेरेटेनिन की मात्रा मानक से कई गुना अधिक मिल रही है। यह किसी मरीज में दो गुना तो किसी में चार गुना अधिक पाई गई है। फेरेटिन की बढ़ी मात्रा ने आयरन को असंतुलित कर दिया। इसी से खून के थक्के बनने लगे।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस का इलाज कर रहे डॉक्टरों को कई मरीजों में हीमोसाइटोसिस मिली है। यह बीमारी तभी होती है, जब आयरन का स्तर बढ़ जाता है। यह अहम अंगों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। नसों में पहुंचकर उसे ब्लॉक कर देता है। इससे खून की सप्लाई रुक जाती है और कोशिकाओं में सड़न पैदा हो जाती है।
इसे संतुलित करने की दवा देकर डॉक्टरों ने कई मरीजों की आंखों पर समय रहते असर होने से बचा लिया। इलाज करने वाले डॉक्टर शालिनी मोहन के मुताबिक, यह सच है कि फेरेटेनिन लेवल बहुत बढ़ा मिल रहा है। अगर मरीज समय से आ जाएं और उनकी सारी जांचें हो जाएं तो इलाज शत प्रतिशत हो सकता है। अगर दवाएं सही समय पर मिलने लगें तो बीमारी बढ़ने से रुक जाती है। कई केस में ऐसा हुआ है।