सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वह कोरोना वायरस महामारी के चलते 21 दिन के लॉकडाउन से पलायन करने वाले कामगारों के स्वास्थ्य health और उनके manegement प्रबंधन से जुड़े मुद्दों से निबटने की विशेषज्ञ नहीं है और बेहतर होगा कि सरकार से जरुरतमंदों के लिये हेल्पलाइन शुरू करने का आग्रह request किया जाये।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
पलायन करने वाले कामगारों के जीवन के मौलिक अधिकार की रक्षा और लॉकडाउन से बेरोजगार हुए workers को उनका पारिश्रमिक दिलाने के लिये सामाजिक कार्यकताओं हर्ष मंदर और अंजलि भारद्वाज ने Rit याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले एक जनहित याचिका पर सरकार से जवाब मांगा था और उसने इस स्थिति से निबटने के बारे में उसके जवाब पर संतोष व्यक्त किया था।
पीठ ने इस याचिका की सुनवाई 13 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी और कहा, ‘हम सरकार के विवेक पर अपनी इच्छा नहीं थोपना चाहते। हम स्वास्थ्य या प्रबंधन के विशेषज्ञ expert नहीं हैं और सरकार से कहेंगे कि शिकायतों के लिए helpline बनाये।’ पीठ ने कहा कि वह इस समय बेहतर policy decision नहीं ले सकती और वैसे भी अगले 10-15 दिन के लिये नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।
इससे पहले, hearing शुरू होते ही याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि चार लाख से अधिक कामगार इस समय sheltar homes में हैं और यह कोविड-19 का मुकाबला करने के लिये परस्पर दूरी बनाने का मखौल बन गया है। उन्होने कहा कि अगर उन्हें आश्रय गृहों में रखा जा रहा है और उनमें से किसी एक व्यक्ति को भी कोरोना वायरस का infection हो गया तो फिर सारे इसकी चपेट में आ जायेंगे। उन्होंने कहा कि इन कामगारों को अपने घर वापस जाने की अनुमति दी जानी चाहिए। उनके families को जिंदा रहने के लिये पैसे की जरुरत है क्योंकि वे इसी पारिश्रमिक पर निर्भर हैं। भूषण ने कहा कि 40 percent से ज्यादा कामगारों ने पलायन करने का प्रयास नहीं किया और वे शहरों में अपने घरों में रहे रहे हैं लेकिन उनके पास खाने पीने का सामान खरीदने के लिये पैसा नहीं है।
इस पर पीठ ने कहा कि उसे बताया गया है कि ऐसे कामगारों को आश्रय गृहों में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और ऐसी स्थिति में उन्हें पैसे की क्या need है। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि government स्थिति पर निगाह रखे है और उसे मिलने वाली शिकायतों पर ध्यान भी दे रही है। इसके लिये call centre बनाया गया है। गृह मंत्रालय और मंत्री हेल्पलाइन की निगरानी भी कर रहे हैं। इस दौरान पीठ ने कहा कि court ऐसी शिकायतों की निगरानी नहीं कर सकता कि किसी आश्रय गृह में कामगारों को दिया गया food खाने योग्य नहीं था।