विवाद से विश्वास एक ऐसी योजना है, जिससे झगड़े निबटाये जाएंगे। सरकार स्वच्छ भारत अभियान की तरह हर क्षेत्र में स्वच्छता पर ध्यान दे रही है और पुराने झगड़ों को निबटा करने नये कीर्तिमान स्थापित करना चाहती है।

सरकार शुरुआत से ही कर संबंधी विवादों को लेकर संजीदा थी। इसके लिए कभी कानूनों की लिस्ट खत्म करती है, तो कभी टैक्स में फंसे हुए लोगों को राहत दी जाती है। उसी तरह सर्विस टैक्स में स्कीम आयी थी। सबका साथ सबका विश्वास के तहत कानून में कई बदलाव किये गये। पुराने कानूनों को हटा दिया गया, नये कानून लाये गये, जो असरदार हैं। उसी तरह इस बजट में सरकार ने प्रत्यक्ष कर संबंधी विवादों को निबटाने की कोशिश की है।

पांच लाख से ज्यादा मामले लंबित, आठ लाख करोड़ रुपये फंसे

भारत में पांच लाख से ज्यादा मामले लंबित है, जिसमें ब्याज और पेनाल्टी समेत लगभग आठ लाख करोड़ रुपये की धनराशि फंसी हुई है। इसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं, जो लगभग 7-8 साल पुराने हैं, जिनमें ब्याज और पेनाल्टी बढ़ते-बढ़ते धनराशि बहुत ज्यादा हो गयी है।

सरकार को पचास हजार करोड़ मिलने की उम्मीद

सरकार को इस योजना से लगभग 50000 करोड़ रुपये प्राप्त होने की उम्मीद है। इसे संस्थानों के लिए एक बड़ी बहुत बड़ी राहत माना जा रहा है, क्योंकि वह अपने पैसे कर, ब्याज, पेनाल्टी और कानूनी खर्चों में लगाते रहते। अब वे अपने काम पर ध्यान दे सकेंगे और भारत के विकास में सहयोग कर सकेंगे।

जैसा कि एनसीए (एसोसिएटेड चाटर्ड अकाउंटेंट), दिल्ली के पार्टनर चंद्रकांत मिश्रा का कहना है कि, सरकार का मकसद झगड़ों को निबटाना और उद्योगों के विकास में सहायता करना है। साथ में एक पंथ दो काज भी हो गये। इससे सरकार को ₹50000 करोड़ से ज्यादा की धनराशि प्राप्त होगी, जिसका इस्तेमाल विकास कार्यों में हो सकेगा।

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