मॉस्को। तालिबान सरकार ने रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित मॉस्को फॉरमेट बैठक में दुनिया को आश्वस्त किया है कि अफगानिस्तान की जमीन का दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जाएगी. इस बैठक में शामिल 10 देशों ने आंतकवाद, शांतिपूर्ण अफगानिस्तान की प्रतिबद्धता जताई गई। बैठक संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में अंतरराष्ट्रीय डोनर कॉन्फ्रेंस करने पर सहमति बनी ताकि अफगानिस्तान के पुननिर्माण में मदद की जा सके।

अफगानिस्तान में कब्जे के बाद से अलग थलग पड़े तालिबान से दुनिया के कई देशों ने बातचीत की।रूस की ओर से आयोजित इस बैठक में आयोजक देश ने माना कि तालिबान अफगानिस्तान में स्थितियां सुधारने की दिशा में काम कर रहा है। इस अहम बैठक में तालिबान ने भी अपना पक्ष रखा। तालिबान के उप प्रधानमंत्री ने दुनिया से कहा कि, अफगानिस्तान में एक नई सरकार बनी है जो दुनिया के सभी देशों के लिए जिम्मेदार है, खास तौर पर पड़ोसियों के लिए। उन्होंने ये आश्वासन दिया कि अफगानिस्तान में सुरक्षा के हालात अब नियंत्रण में हैं और अन्य किसी भी देश को खतरा नहीं ।

इस बैठक में दस देशों ने भाग लिया जिनमें भारत के अलावा चीन, पाकिस्तान, ईरान सहित कई मध्य एशियाई देश शामिल थे।

भारत की तालिबान के साथ ये दूसरी बातचीत रही। इससे पहले 31 अगस्त को भारत और तालिबान के बीच बातचीत हुई थी. लेकिन यह मुलाकात तालिबान की अंतरिम सरकार बनने से पहले हुई थी।

आपको बता दें मॉस्को फॉर्मेट की शुरुआत 2017 में की गई थी, ताकि अफगानिस्तान पर चर्चा हो सके
2018 में हुई इस बैठक में भारत की ओर से पूर्व राजनयिक शामिल हुए थे। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद पहली बार अब मॉस्को फॉर्मेट में भारतीय अधिकारी शामिल हुए।

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