नई दिल्ली (एजेंसी)। किसान मोर्चा की याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अदालत द्वारा तीन कृषि कानूनों पर रोक लगाने के बाद भी सड़कों पर प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। किसान महापंचायत के वकील ने कहा कि उन्होंने किसी सड़क को अवरुद्ध नहीं किया है। इस पर पीठ ने कहा कि कोई एक पक्ष अदालत पहुंच गया तो प्रदर्शन का क्या मतलब है? पीठ ने कहा कि कानून पर रोक लगी है सरकार ने आश्वासन दिया है कि वो इसे लागू नहीं करेंगे फिर प्रदर्शन किस बात का है?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी घटना का भी जिक्र किया। कोर्ट ने कहा कि वैसे तो प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण प्रदर्शन का दावा कर रहे हैं, वो वहां हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की जिम्मेदारी नहीं लेंगे। कोर्ट ने कहा कि कानून अपना काम करेगा। उधर किसान नेता और लखीमपुर प्रशासन के बीच समझौता हो गया। मृतकों के परिजनों 45-45 लाख और घायलों को धस दस लाख दिए जाएंगे। मृतकों के आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाएगी।

किसान महांपचायत की याचिका में जंतर मंतर पर सत्याग्रह की मांग की गई है। कोर्ट ने कहा कि आपने कानून की वैधता को चुनौती दी है। हम पहले वैधता पर फैसला करेंगे, प्रदर्शन का सवाल ही कहां है? अदालत ने पूछा कि जंतर मंतर पर प्रदर्शन का क्या तुक है। इस पर वकील ने कहा कि सरकार ने एक कानून लागू किया है। कोर्ट ने इस पर कहा कि आप कानून के पास आइए। आप दोनों नहीं कर सकते हैं कि कानून को भी चुनौती दें और फिर प्रदर्शन भी करें।

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