इंग्लैंड की वेब्ले स्कॉट के जवाब में लघु शस्त्र निर्माणी (एसएएफ) ने 32 बोर की नई रिवॉल्वर प्रहार को लांच किया है। इसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप डिज़ाइन किया गया है। गुणवत्ता में भी ये दुनिया की किसी भी रिवॉल्वर को चुनौती देने में सक्षम है। इसकी कीमत 78 हजार रुपए है। 28 फीसदी जीएसटी अलग से लगेगा।
कानपुर में एसएएफ के महाप्रबंधक एके मौर्य ने प्रहार को पेश करते हुए बताया कि मार्क-1 से मार्क-4 लांच करने के बाद ये बिल्कुल नई रिवॉल्वर है, जो गुणवत्ता के मामले में वेब्ले स्कॉट को सीधी चुनौती देगी। प्रहार को वुड और प्लास्टिक ग्रिप में पेश किया गया है। मार्क सीरीज की रेंज 20 मीटर थी लेकिन प्रहार 50 मीटर दूर का लक्ष्य भी भेद देती है। इसे बनाने में की गई रिसर्च और मेहनत का अंदाजा इसी से लगता है कि लंदन की क्रेनफील़्ड यूनिवर्सिटी से निर्माणी के पवन कुमार ने गन सिस्टम टेक्नोलाजी में डिग्री ली। समारोह में अपर महाप्रबंधक तुषार त्रिपाठी, रोली एम वर्मा, संयुक्त महाप्रबंधक आलोक बाजपेयी, पवन कुमार, कार्यप्रबंधक आर के मिश्रा, अभय मिश्रा, आर्म्स डीलर, जेसीएम सदस्य व यूनियनों के पदाधिकारी शामिल थे।
चार अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरी
सिंगल और डबल एक्शन मैकेनिज्म से लैस प्रहार पहली ऐसी रिवॉल्वर है, जिसकी टेस्टिंग इंटरनेशनल मानकों पर की गई है। मानकों के तहत रिवॉल्वर की चार बार टेस्टिंग की जाती हैं। पहली- मड ट्रायल, जिसमें मिट्टी-कीचड़ के ढेर में रिवॉल्वर को रखने के बाद सीधे उसी स्थिति में फायरिंग की जाती है। दूसरा- रेन टेस्ट, जिसमें पानी में घंटो भीगने के बाद भी रिवॉल्वर गोली उगलने में सक्षम है। तीसरा- कोल्ड टेस्ट, जिसमें माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में प्रहार खरी उतरी। चौथा-हॉट टेस्ट, जिसमें 55 डिग्री सेल्सियस पर भी कोई असर नहीं पड़ा।
.32 बोर प्रहार की खूबियां
– हाई स्ट्रेंथ अलॉय स्टील से बने पार्ट्स
– विशेष रूप से डिजायन ट्रिगर पुल, जिसमें कम लोड लगता है
– दो रंग की हाई क्वालिटी सेरामिक पेंट कोटिंग, जो रिवॉल्वर की लाइफ बढ़ाती है और जंगरोधी है
– रिवॉल्वर की अंतर्राष्ट्रीय डिजायन और सौ फीसदी एक्यूरेसी रेट
– वजन 755 ग्राम और कैलिबर 7.65 एमएम
– कुल लंबाई 177.6 एमएम और रेंज 50 मीटर
जेवीपीसी, एलएमजी और मैगगन के बाद बड़ी उपलब्धि
एसएएफ की ज्वाइंट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन यानी जेवीपीसी का सेना में ट्रायल चल रहा है। एक गन से 2400 राउंड की टेस्टिंग की गई। टेस्टिंग में चार स्टापेज अनुमन्य थे लेकिन जेवीपीसी बिना स्टॉपेज के ही परीक्षण में खरी उतरी। अभी 1000 जेवीपीसी के ऑर्डर विभिन्न रक्षाबलों से मिले हैं। जल्द बड़ा ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। इसी तरह बेल्टफेड एलएमजी को जनवरी में परीक्षण के लिए सेना को दिया जाएगा। एके-203 के बारे में उन्होंने बताया कि इसे कोरबा में पीपीपी मॉडल के तहत तैयार किया जा रहा है। तीन साल में सौ फीसदी मेक इन इंडिया का टारगेट है। उम्मीद है कि एसएएफ और ईशापुर के साथ एके-203 का वर्कलोड भी साझा किया जाएगा।