नई दिल्ली । पिछले दिनों उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के मामले में मौजपुर हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के हवलदार दीपक दहिया पर पिस्टल तानने वाले शाहरुख को क्राइम ब्रांच ने आखिर गिरफ्तार कर लिया । प्राप्त जानकारी के अनुसार, शाहरूख को उत्तर प्रदेश के शामली के पास से गिरफ्तार किया गया है। वह बरेली से निकल गया था।
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच उसे लेकर दिल्ली आ रही है। स्पेशल सेल को उसे पकड़ने के लिए जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन क्राइम ब्रांच को सफलता मिली। शाहरूख की तलाश में पुलिस दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश में स्पेशल सेल छापेमारी कर रही थी। शाहरूख की गिरफ्तारी पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई थी।
शाहरुख की तलाश में दिल्ली पुलिस ने बरेली में डाला था डेरा
बीते 24 फरवरी को मौजपुर चौक पर तीसरी बटालियन में तैनात हवलदार दीपक दहिया पर सामने से पिस्टल तानने व हिंसा में सात गोलियां चलाने वाले आरोपित शाहरुख को पकड़ना दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई थी। स्पेशल सेल को 26 फरवरी को इसे दबोचने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। छह दिनों से स्पेशल सेल उत्तर प्रदेश के बरेली के कुछ कस्बों के आसपास डेरा डाले हुई थी। पंजाब, मुजफ्फरनगर व कैराना में भी सेल की टीमें शाहरुख के संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी थी। शाहरुख के घर के सभी सदस्य भी फरार बताए जा रहे हैं।
शाहरुख थाना उस्मानपुर की अरविंद नगर, गली नंबर 5 यू-108 में रहता है। फिलहाल घर पर ताला लगा हुआ है। पड़ोस के लोगों ने बताया कि 1985 से उसका पिता शावर पठान यहां आया था। वह ड्रग्स का बड़ा माफिया रहा है। पुलिस को शक का था कि शाहरुख बरेली में ड्रग्स माफिया के बीच छिपा हुआ है।
पुलिस के सामने कर रहा था उपद्रव
मौजपुर हिंसा के दौरान शाहरूख पुलिस के सामने उपद्रव कर रहा था। वह पुलिस के सामने गोलियां चला रहा था। यहां तक कि शाहरूख ने हवलदार दीपक दहिया पर भी पिस्टल तान दी थी। पुलिस ने उसे रोकने की कोशिश भी की थी लेकिन वह उत्पात मचाता रहा था। फिलहाल उसकी गिरफ्तारी दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी सफलता मानी जा रही है। उससे पूछताछ में कई अहम खुलासे होने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
गौरतलब है किि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अब तक 45 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। अलग-अलग इलाकों में नालों से कई शव बरामद किए गए हैं। हिंसा फैलाने के आरोप में पुलिस ने करीब 800 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। हिंसा में कई घायलों को इलाज अभी भी अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है।