पदम पति शर्मा

गांधी परिवार की मानसिकता ऐसी हो चुकी है गोया वही काग्रेस पार्टी है और इससे उसमै उपजा अहंकार कांग्रेस को लगातार पतन की ओर ले जा रहा है। पार्टी मे युव नेताओं की उपेक्षा बताती है कि राहुल गांधी के समकक्ष कोई दूसरा खडा न होने पाए। इसलिए जब आगे बढाने की बात हो तो राजस्थान और मध्यप्रदेश आदि राज्यों मे सत्तर बरस से ज्यादा उम्र वालों को सीएम पद थमा दिया गया। असंतोष तो होना ही था।

असम मे सरमा आज भाजपा का वो चेहरा बन चुके हैं जिसने पूरे पूर्वोत्तर मे पार्टी की जडो को जमा दिया।यह पूर्व काग्रेसी गांधी परिवार की उपेक्षा का शिकार होने के बाद भगवाधारी हुआ। कुत्ते को बिस्कुट खिला रहे थे राहुल बजाय सरमा से बात करने के।

हेमंत बिस्व सरमा

यही हाल राहुल गांधी के करीबी सहयोगी कहलाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया का हुआ। महीनों की कोशिश के बावजूद वो उनसे मिलने में सफल नहीं सके। . यह बात एक चैनल को त्रिपुरा के शाही परिवार से आने वाले एक नेता प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने, जिनका सिंधिया परिवार के साथ कजिन का रिश्ता भी है, बताया कि मध्य प्रदेश के पूर्व सांसद व 49 वर्षीय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफा देने के बाद उन्हें कांग्रेस द्वारा निष्कासित कर दिया गया। यह वाकई दुर्भाग्यपूर्ण रहा और इसमें कांग्रेस का बौनापन साफ दिखता है।

कुछ ही महीने पहले पार्टी से दूरी बनाने वाले त्रिपुरा कांग्रेस प्रमुख रहे प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने कहा, ”मुझे पता है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया महीनों से राहुल गांधी से मिलने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हे कोई समय नहीं दिया गया। अगर वह (राहुल गांधी) हमें नहीं सुनना चाहते थे, तो वो हमें पार्टी में लाए ही क्यों ?”

प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा

सिंधिया के करीबी माने जाने वाले देबबर्मा ने फेसबुक पोस्ट में मंगलवार को लिखा, “मैंने देर रात ज्योतिरादित्य सिंधिया से बात की और उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने इंतजार किया और इंतजार करते रहे, लेकिन उनके द्वारा ‘हमारे’ नेता को मिलने के लिए समय नही दिया गया ।”

उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा, “जब मैंने त्रिपुरा में कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में इस्तीफा दिया था, तब मैंने कहा था कि युवा नेता ‘अनाथ’ महसूस करते हैं और राहुल गांधी द्वारा पार्टी अध्यक्षी अचानक छोड़ने के बाद हमें बीच मझधार में छोड़ दिया गया। अचानक हमारे विचारों को दरकिनार कर दिया गया। ‘स्टालवार्ट्स’ ने प्रमुख मुद्दों पर हमारी नीतियों की अवहेलना शुरू कर दी थी। ”

वर्तमान स्थिति के बारे में बात करते हुए प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा ने एक चैनल से कहा, “यह डिबेट इसलिए देखा गया, जब पुराने समूह द्वारा कलह नजर आई। जब हमारा नेता हमें नहीं सुन रहा है और पुराने लोग एक-एक करके जाने का फैसला कर रहे हैं, तो यह समय है कि आगे बढ़ जाओ.”

यही बयान कांग्रेस छोडने के बाद ज्योतिरादित्य ने भी दिया था कि अब आगे देखने का समय आ गया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने का उनके सबसे करीबियों मे रहे माधवराव सिंधिया के इस पुत्र ने अथक प्रयास किया। अंतिम बार आठ मार्च को कोशिश की मगर सोनिया उनसे मिलने से इनकार करती रही।अंत मे नौ मार्च को ग्वालियर रियासत के इस राजकुमार ने काग्रेस से 18 बरस का अपना नाता तोडते हुए सोनिया को त्यागपत्र भेज दिया। इस्तीफे को सार्वजनिक किया होली के दिन 10 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भेट के बाद। लेकिन गुमान देखिए कि कांग्रेस के प्रवक्ता वेणु गोपाल ने कहा कि पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी विरोधी कार्य करने के चलते बर्खास्त कर दिया है। जयचंद और मीरजाफर की तरह सिंधिया गद्दार हैं।

कांग्रेस हर दिन अपनी जमीन खोती जा रही है मगर चेत नहीं रही है। शायद चेतना उसकी डिक्शनरी में ही नहीं है। भाई, बहन और माँ के अनाप शनाप बयान और वैसी ही उनकी दंभी अहंकार भरी कार्य शैली देश की इस सबसे पुरानी पॉलिटिकल पार्टी को रसातल मे ले जा रही है। ज्योतिरादित्य का जाना कोई मामूली घटना नहीं है। इससे नयी सोच के तमाम नेताओं को एक साफ संदेह गया है। आने वाले समय मे ऐसों की एक बडी जमात कांग्रेस को टा टा बाय बाय अगर करती है तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा।

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