वाराणसी। वैश्विक महामारी के इस संकटकाल में हर व्यक्ति मानवता की मिसाल पेश करने में जुटा है तो वही नगर की प्रतिष्ठित चिकित्सक व समाजसेवी के रुप में स्थापित हो चुके चिकित्सक दंपति ने शासन के आदेश की धज्जियां उड़ा दी है। सीएम योगी ने प्रदेश के सभी मेडिकल सहित शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने का फरमान दिया तो वही प्राइवेट मेडिकल इंस्टिट्यूट के मालिकों ने पैसे बचाने और छात्राओं के शोषण का दूसरा रास्ता अपना लिया है। वह नर्सिंग स्टाफों की जगह एएनएम और जेएनएम की छात्राओं को डरा धमकाकर उनसे काम ले रहे है। यह मामला सामने तब आया जब एक छात्रा की तबियत खराब हुई और उसके सहपाठियों ने अपने संतुष्टि इंस्टिट्यूट ऑफ नर्सिंग एंड पैरामेडिकल साइंसेज के चेयरमैन संजय गर्ग और डायरेक्टर रितु गर्ग पर गम्भीर आरोप लगाए।
नहीं की ड्यूटी तो लेंगे फाइन
ड्यूटी के दौरान छात्रा की तबियत बिगड़ने पर कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ बिफरी छात्राओं का आरोप था कि लगातार मिल रहे कोरोना मरीजों के बीच हमारे अभिभावक भी चिंतित थे, मगर छुट्टी मांगने पर चेयरमैन और डायरेक्टर कहती थी कि ड्यूटी नहीं आने पर 50 हजार रुपये जुर्माना लेंगे और हमारी पहुंच यूनिर्सिटी तक है मार्कशीट भी बिगाड़ देंगे। आरोप है कि इसी बीच ड्यूटी के दौरान एक छात्रा की तबियत बिगड़ी और उसे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी। जब छात्रों ने प्रबंधन से एम्बुलेंस बुलाने की गुहार लगाई तो उन्हें लवारिशों की तरह छोड़ दिया गया, और परिजन छात्रा को ले जाकर बीएचयू भर्ती करवाया।
सामने नहीं आये चिकित्सक दंपत्ति
छात्राओं के हंगामे और मामला बढ़ता देख चिकित्सक दंपत्ति सामने नहीं आए। आरोप है कि डायरेक्टर रितु गर्ग ने अपने बड़बोलेपन के चक्कर में छात्राओं को धमकाते हुए कहा कि मैंने पुलिस और मीडिया को खरीद रखा है। तुम्हारी सुनने वाला कोई नही हैं। मामला बढ़ता देख मौके पर चौकी प्रभारी सुंदरपुर सूरज पहुंचे। छात्राओं ने अपना शिकायत पत्र उन्हें सौंपा। इस बाबत चिकित्सक दंपत्ति को दूरभाष पर सम्पर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। उसके बाद संदेश भेजकर पक्ष जानने की कोशिश की गई बाबजूद इसके उनका कोई पक्ष नहीं आया।
पहले भी हो चुका है छात्राओं का आंदोलन
ऐसा नहीं यह पहली बार विवाद हुआ हो, इस मेडिकल संस्थान के प्रबंधन का विवादों से नाता रहा है लेकिन पैसे के बल पर मामले को ठंडे बस्ते में डलवाने का बखूबी तरीका इन्हें मालूम है। कुछ वर्ष पूर्व भी छात्राओं ने इनके विरुद्ध बड़ा आंदोलन किया था। उस वक्त इनके इंस्टिट्यूट के मान्यता न होने का मामला तूल पकड़ा था। छात्राओं ने जमकर आंदोलन करने के साथ ही डीएम कार्यालय तक प्रदर्शन किया था, मगर मामला बढ़ता देख प्रबंधन ने बचने के तमाम हथकंडे अपनाते हुए मामले को ठंडे बस्ते में डलवा दिया था। सत्ता के साथ-साथ चलने और बड़े नेताओं के साथ खिंचवाई गई इनकी तस्वीर देख प्रशासन भी अर्दब में आ जाता है। (भदैनी मिरर)