श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की सप्तऋषि आरती पर महंत परिवार के मुखिया डॉ. कुलपति तिवारी ने मंदिर प्रशासन को काशी की पुरातन परंपरा शास्त्रार्थ की खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि मंदिर प्रशासन सभी को यह समझाने में लगा है कि सप्तऋर्षि आरती एक सामान्य आरती होती है जो कोई भी व्यक्ति शास्त्र और विधि-विधान के साथ संपादित कर सकता है।
डॉ. तिवारी ने कहा कि मंदिर प्रशासन को लग रहा है कि महंत परिवार अपने व्यक्तिगत लाभ और पूजन-अर्चन के लिए ड्रामा कर रहा है। वास्तविकता यह है कि इस विधान का उद्देश्य पहले महादेव को प्रसन्न करना है और इसका संबंध महंतों से बाद में है। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ की सप्तऋषि आरती की परंपरा इसको प्रधानता की श्रेणी में लाती है।
वर्तमान में मंदिर के पुजारियों द्वारा सप्तऋषि आरती की परंपरा का विधिवत व शास्त्रवत निर्वहन नहीं किया जा रहा है। इसलिए महंत परिवार मंदिर प्रशासन को यह खुली चुनौती देता है कि काशी विद्वत परिषद या देश के किसी भी विद्वान की उपस्थिति में वर्तमान सप्तऋषि अर्चकों व महंत परिवार के बीच सार्वजनिक शास्त्रार्थ कराया जाए। वर्तमान में जिन अर्चकों से सप्तऋषि आरती कराई जा रही है उन्हें इसके बारे में कोई ज्ञान है, तो इसका परीक्षण भी हो जाएगा।
पुरातत्व विभाग से कराएं जांच
उन्होंने कैलाश महादेव मंदिर के क्षतिग्रस्त हिस्सों की जांच महंत परिवार की उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से पुरातत्व विभाग से कराने की मांग की है। जांच में सारा मामला साफ हो जाएगा और हम लोगों को भी अपना पक्ष रखने मौका मिलेगा।
सात स्टेट की डलिया से फैला रहे भ्रम
मंदिर प्रशासन द्वारा सात स्टेट की पूजा की डलिया को सप्तऋषि आरती से जोड़कर अनावश्यक रूप से भ्रम फैलाया जा रहा है। यह सरासर गलत है। सप्तऋषि के प्रतिनिधियों का बैठना और अन्य प्रतिनिधियों द्वारा आरती का संपादन अलग-अलग विषय है। सप्तऋषि आरती में सात स्टेटों की पूजा की डलिया रखना मूल विषय नहीं है। यह तो विषय से भटकाने का प्रयास है।
सप्तर्षि आरती के विधि-विधान
पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया कि सप्तर्षि आरती का एक विशिष्ट विधि-विधान होता है। इसको करने वाले एक विशेष परंपरा के तहत दीक्षित होते हैं। यहां तक कि सप्तर्षि आरती एक विशेष लय, सुर और ताल में होती है जिसमें मंत्रों की ध्वनि न्यूनतम से उच्चतम स्तर पर उच्चारित होती है। सप्तर्षि आरती का सीधा संबंध ग्रह और नक्षत्रों के योग पर निर्धारित करता है।