अफगानिस्तान की सत्ता में 20 साल बाद वापसी करने वाले तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया है कि उसने पंजशीर पर भी कब्जा जमा लिया है। मीडिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया जा रहा है कि अब पंजशीर भी तालिबान के कंट्रोल में चला गया है। इतना ही नहीं, ऐसी खबरें हैं कि खुद को अफगान का राष्ट्रपति घोषित करने वाले अमरुल्ला सालेह भी पंजशीर से भाग गए हैं। हालांकि, इस बीच अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति और पंजशीर से तालिबान को चुनौती दे रहे अमरुल्लाह सालेह खुद एक वीडियो के जरिए सामने आए हैं और उन्होंने कहा कि वह देश छोड़कर भागे नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि वह पंजशीर घाटी में ही हैं और रेसिस्टेंस फोर्स के कमांडरों और राजनीतिक हस्तियों के साथ हैं।

खबर के मुताबिक, अमरुल्लाह सालेह ने तालिबान के कब्जे की बात को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा कि पंजशीर घाटी पर पिछले चार से पांच दिनों से तालिबान और अन्य बलों द्वारा हमला किया जा रहा है, लेकिन विद्रोहियों द्वारा किसी भी क्षेत्र पर कब्जा नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से यह बात फैल रही है कि मैं अपने देश से भाग गया हूं। यह बिल्कुल निराधार है। यह मेरी आवाज है, मैं आपको पंजशीर घाटी से, अपने बेस से कॉल कर रहा हूं। मैं अपने कमांडरों और अपने राजनीतिक नेताओं के साथ हूं।’

तालिबान के हमले के बारे में बात करते हुए अमरुल्लाह सालेह ने कहा कि हम स्थिति का आंकलन कर रहे हैं। बेशक यह एक कठिन स्थिति है, हम तालिबान, पाकिस्तानियों और अल कायदा और अन्य आतंकवादी समूहों के आक्रमण के अधीन हैं। हमारा मैदान पर कब्जा है, हमने अभी क्षेत्र नहीं खोया है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले चार-पांच दिनों में तालिबान ने अपना आक्रमण तेज किया है, हालांकि, तालिबान को अब तक कोई अहम फायदा नहीं मिल सका है। इस हमले में उनके भी कुछ लोग मरे हैं और हमारे भी।

एक वीडियो संदेश में सालेह ने कहा कि मैं इस वीडियो के माध्यम से आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि इस समय जो कुछ भी कहा गया है कि मैं घायल हो गया हूं या मैं भाग गया हूं, वह निराधार, फर्जी खबर है। प्रतिरोध जारी है और जारी रहेगा। मैं यहां अपनी मिट्टी के साथ हूं, अपनी धरती और इसकी गरिमा की रक्षा के लिए हूं। सालेह ने कहा कि हमने तालिबान के सामने कभी नहीं झुकने की कसम खाई है। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी ने काबुल पर कब्जा करने से एक रात पहले देश को तालिबान के हाथों में छोड़ भाग गए थे। 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था और अशरफ गनी यूएई भाग गए थे।

बता दें कि सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा था कि तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। जो लोग भी यहां हमारा विरोध कर रहे थे, तालिबान ने उन्हें मात दे दी है। अब पंजशीर तालिबान के नियंत्रण में है। हालांकि उस वक्त भी रेसिस्टेंस लीडर्स ने तालिबान के दावों को खारिज किया था और कहा था कि पंजशीर में अभी भी लड़ाई जारी है।

गौरतलब है कि पिछले चार दिन से पंजशीर में तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्सेज के बीच जबर्दस्त लड़ाई चल रही है। गुरुवार रात लड़ाई इस कदर भीषण हो गई थी कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को दोनों पक्षों से शांति की अपील करनी पड़ी थी। गौरतलब है कि 1996 से 2001 के बीच जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, तब भी वह पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया था। तब लॉयन ऑफ पंजशीर कहे जाने वाले अहमद मसूद ने नॉर्दर्न अलायंस बनाया था, जिसे कई देशों से मदद मिलती थी।

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