जेएसजे फैक्टर का नकारात्मक परिणाम सम्भावित

हरीश शर्मा

आज देश ही नहीं पूरे विश्व की नजर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम पर टिकी है। लोग यह देखना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान की राजधानी के निवासी मुफ्तखोरी के लॉलीपॉप के सहारे जीवन यापन करना चाहते हैं, दिल्ली को धरना-प्रदर्शन से ओतप्रोत देखने की लालसा रखते हैं या फिर दिल वालों के इस छोटे से राज्य को विकास की मिशाल बनाने को तत्पर हैं ताकि अपना व्यापार और विभिन्न क्षेत्रों में जॉब को शान्ति से आगे बढ़ाते हुए अगली पीढ़ी को एक अच्छा माहौल देना चाहते हैं।

उपरोक्त सभी आशंकाओं का सही जवाब हमें मिलने में ज्यादा नहीं बस सप्ताहभर और प्रतीक्षा करनी होगी। अभी तो चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे प्रायः सभी राजनीतिक दल दलदल से घिरे हुए हैं और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, चुनौती आदि के रूप में कीचड़ उछालने में व्यस्त हैं। लेकिन इन बातों से इतर आम मतदाता आपस में कुछ और ही सोच रहे हैं और अपने भविष्य पर ध्यान रखना मुनासिब समझ रहे हैं। सब अंदर ही अंदर मन बना रहे हैं कि इस दलदल में कमल खिलाया जाय या झाड़ू लगाई जाय। क्योंकि ये ही दो विकल्प हैं, इस दलदल में हाथ लगाने की तो कोई सोच ही नहीं रहा दिखाई देता है।

इसी बीच इस चुनाव में मतदाताओं की सोच की तह में जाकर देश के सबसे बड़े सट्टा बाजार राजस्थान के मारवाड़ इलाके के फलोदी के कारोबारियों ने अपनी भविष्यवाणी की है और चुनाव में उतरी पार्टियों की जीत-हार के लिए बाजार भाव ऊपर-नीचे हो रहे हैं। यहां बताते चलें कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी इस सट्टा बाजार का आकलन उम्मीद से कहीं अधिक सही साबित हुआ था। इस चुनाव के परिणामों पर इस बाजार के आकलन को देखा जाय तो हम पायेंगे कि दलदल इसबार कमल ही खिला रह है और कीचड़ हटाने में झाड़ू टूटती दिख रही है तथा हाथ ने तो इसे स्पर्श ही नहीं किया। सट्टा बाजार का आकलन बता रहा है कि आप पार्टी को दिल्ली के मात्र 23 फीसदी मतदाताओं का समर्थन मिलेगा और वह 18 से 22 सीटों पर काबिज होने जा रही है। वहीं भाजपा 59 प्रतिशत मतदाताओं की पसंद बनकर 52 से 54 सीटें ला सकती है। हाथ के पप्पू को अभी दलदल में क्रीड़ा करने के लिए मतदाताओं ने छोड़ दिया है।

इस सट्टा बाजार से जुड़े एक कारोबारी के अनुसार जेएसजे यानी जामिया शाहीनबाग जेएनयू की प्रायोजित गतिविधियों से आप को नुकसान पहुंचा है।। यह जाहिर सी बात है कि आम जनता को परेशानी में डालकर वोट डालने को मजबूर नहीं किया जा सकता। सब जानते हैं कि इस जेएसजे के कारण दिल्ली वासियों को अभी भी परेशानी झेलनी पड़ रही है, बच्चों को स्कूल जाने के लिए किस मुश्किल और भय के माहौल का सामना करना पड़ रहा है। सीएए के विरोध का जो प्रायोजित कार्यक्रम चलाया जा रहा है और उसको हवा देने के लिए जिस प्रकार बिरयानी वितरण का यज्ञ किया जा रहा है तो इसका परिणाम भी तो प्रायोजकों को झेलने को तैयार रहना होगा।

जो भी हो आगामी सप्ताह यह पूरी दुनिया देखने जा रही है कि देश विरोधी गतिविधियों के सहारे आसमां छूने का दिवास्वप्न कहां तक कामयाब हो सकता है। वैसे जनता अब जागरूक हो गई है और सभी दलों के मंसूबों को परख ली है।

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