कोटा से छात्रों को लाने पर यूपी सरकार पर सामाजिक दूरी का नियम तोड़ने का आरोप लगा, कोटा(kota ) का मामला बिहार में गर्म रहा है। यहां के हिसुआ के बीजेपी (bjp )विधायक अनिल सिंह को कोटा जाकर अपने बेटे और बेटी को कार से ले आने की अनुमति पर सवाल उठा है। प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया कि अब सामाजिक दूरी के लागू होने का नियम बड़े लोगों के लिए अलग क्यों। नीतीश जी का सामाजिक दूरी पर दोहरा मानदंड दिख गया। राजद के तेजस्वी ने भी इस पर सवाल उठाए।

भारतीय जनता पार्टी के हिसुआ से विधायक अनिल सिंह राजस्थान के कोटा में फंसे अपने बेटा, बेटी और पत्नी को कोटा से वापस बिहार लाने में सफल हो गए। नवादा ( nawada) जिला प्रशासन ने उन्हें वाहन पास निर्गत किया था। नवादा सदर के अनुमंडल अधिकारी के आदेश से विधायक अनिल सिंह 16 अप्रैल से लेकर 25 अप्रैल तक प्रतिबंधित अवधि में कोटा में फंसे बेटे को लाने को लेकर आदेश लिया था। इस मामले पर बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि मेरी बेटी कोटा में परेशान थी। मैं पहले पिता हूं, बाद में विधायक। इसलिए मैंने पिता का धर्म और कर्तव्य निभाया है।

विधायक को दी गई परमिशन में सदर एसडीओ के आदेश में लिखा गया- “विधायक अनिल सिंह के वाहन परिचालन की अनुमति लोगों के जानमाल की रक्षा के लिए इस शर्त के साथ आदेश दिया जाता है कि कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिला प्रशासन नवादा के द्वारा जारी निर्देश का अक्षरशः अनुपालन करेंगे। इसके साथ ही सभी व्यक्ति को मास्क (mask )लगाना अति आवश्यक है।”

कोटा में फंसे बिहारी छात्रों को वापस बिहार लाने का सीएम नीतीश कुमार ने यह कहकर विरोध किया था कि इससे लॉकडाउन का उद्देश्य सफल नहीं होगा। आज भी कोटा में बिहार के बहुतेरे छात्र फंसे हुए हैं लेकिन रसूखदार विधायक द्वारा अपने बेटे को कोटा वापस लाने पर सवाल खड़े होने लगे हैं।

बीजेपी विधायक ने दी सफाई

बीजेपी विधायक अनिल सिंह ने कहा कि मैं जिला प्रशासन की अनुमति और सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही अपनी बेटी को वहां से लाया हूं। विधायक ने कहा कि केवल सरकार की जिम्मेवारी पर अपने बच्चों को छोड़ने की जरूरत नहीं है, मैं एक पिता हूं और मैंने पिता की जो जिम्मेदारी होती है उसे निभाया है।

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