– के. एन. गोविन्दाचार्य
चिंतक – विचारक

दुनिया को यूरोपीय नही भारतीय नजरिये से देखे, समझें| ब्रिटिश, या यूरोपीय नही भारतीय और गैर यूरोपीय नजरिये से हुए इतिहास लेखन को महत्त्व दें| तब समझ मे आयेगा कि भारत का अतीत गौरवशाली रहा है| 1750-1850 ही दुर्बलता और थकान का कालखंड है| अब भारत उन स्थितियों से पार है| राष्ट्रीय चेतना अब अपने को दर्ज करा रही है|

  1. प्रकृति केन्द्रिक विकास एवं आर्थिक एवं राजनैतिक व्यवस्थाओं को विकेन्द्रित लेकिन एकात्म स्वरुप प्राप्त हो|
  2. एतदर्थ, जमीन, जल, जंगल, जानवर, शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, पेयजल, ऊर्जा, युवा, महिला, पर्यावरण, प्राकृतिक खेती, आदि क्षेत्रों मे कार्यरत समूहों का जिले मे एक दूसरे से परिचय, सहयोग प्राप्त करने की व्यवस्था हो|
  3. हरित भारत अभियान जिले में संगठित हो| उस काम मे लगे अन्य समूह यथा; गायत्री परिवार, आर्ट ऑफ़ लिविंग, स्वाध्याय परिवार, मध्यस्थ दर्शन आदि सभी से परिचय, सहकार का प्रयास हो|
  4. प्रकृति का संपोषण ही विकास का सही मार्ग है, समझकर जिले मे इस संदर्भ मे कार्यरत समूहों की परस्पर सहयोग की स्थिति बनाई जाय|
  5. भारत विकास संगम, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन, शाश्वत हिन्दू प्रतिष्ठान, समाजनीति समीक्षण केन्द्र, भारत अभ्युदय प्रतिष्ठान, गोसेवा संगम, कौटिल्य इंटरनेशनल फाउंडेशन आदि की जिलावार सूचियों का आदान-प्रदान हों| इनके सफल प्रयोगों का जिलानुसार संकलन हों|
  6. 127 पर्यावरणीय कृषि जलवायु प्रक्षेत्रों का मानचित्र जिलों में जाँय|
  7. भारत का मानचित्र: महाभारतकालीन, 2000 वर्षों पूर्व का, 500 वर्ष पूर्व, 200 वर्ष पूर्व, 100 वर्ष पूर्व एवं Eco Agro Climate Zones का मानचित्र जिलों तक पहुंचाया जाय| उसी के साथ संकल्प मंत्र तथा शान्ति मंत्र को जिलों मे परिचित कराएं जाय|
  8. हमारा गाँव, हमारा देश एवं हमारा जिला, हमारी दुनिया के आधार पर जिले मे चल रहे कार्यों का परस्पर सूत्रबद्ध करने के लिये एक संयोजक तय करें| गाँव को प्राथमिक एवं जिला को कार्य की सक्रियता के लिये उच्चतम इकाई माना जाय| जिले मे कार्य समूहों को बौद्धिक, रचनात्मक, आंदोलनात्मक, प्रचारात्मक या अन्य आयामों मे भी सक्रीय होने वाले महानुभावों को संपर्क मे लेना होगा एवं ऐसे महानुभाव आगे बढ़कर अपनी पहल पर जिले मे चल रहे सूत्रों को परस्पर जोड़ें|
  9. ऐसे सभी सदस्यों, सक्रिय महानुभावों से सतत संपर्क, सहयोग के लिये दिल्ली मे व्यवस्था बने|
  10. इसी प्रकार एक व्यवस्था बने जिसमे व्यक्ति से बड़ा दल, दल से बड़ा देश, व्यक्ति से बड़ा संगठन, और संगठन से बड़ा समाज, इस सिद्धांत के अनुसार देश के अनेक पहलुओं के बारे मे देशहित की बाबत निर्भय, निर्वैर, निष्पक्ष होकर देश में अभिमत बनाने हेतु एक मंच गठित हो| वह मंच ऋषिकुलम् भी हो सकता है|
  11. उपरोक्त (10) के संदर्भ मे विस्तृत विचार करने हेतु कुछ लोग एकत्रित होकर विचार विमर्श करें| इस दिशा मे योगदान करने को इच्छुक महानुभाव निम्न लोगों से संपर्क करें : –
    1. श्री ईश्वर दयाल कंसल M-9891119696
    2. बसवराज पाटील सेडम M-09448476153

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