नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी की सूची जारी होते ही टिकट कटने से नाराज विधायकों के विरोध भी खुलकर सामने आने लगे ।  टिकट कटने से नाराज बदरपुर विधायक एनडी शर्मा ने आप से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही पार्टी पर 10 करोड़ रुपये लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया है। इस विवाद में आप के बागी नेता कुमार विश्वास कूद पड़े हैं। उन्होंने तंज कसते हुए शर्मा को लिखा है कि आपको बहुत देर में पता चला ?

पार्टी जिसे भू-माफिया कहती थी उसे ही आज टिकट देकर बदरपुर की जनता के साथ धोखा दिया है। मीडिया से बात करते हुए एनडी शर्मा ने कहा कि पार्टी ने जिस नेता को टिकट दिया है, 2015 के चुनाव में उसकी जमानत जब्त हो गई थी। एनडी शर्मा ने कहा कि वह बदरपुर की जनता के साथ खड़े हैं। साथ ही चेतावनी दी कि वह बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरेंगे। 

वहीं कुमार विश्वास ने ये भी लिखा है कि जिन लोगों से हम 2013 में पिटे, हमने संघर्ष किया, 2020 में उन्हें ही बुलाकर टिकट दे दिया।

पहली बार बड़े पैमाने पर दलबदलू नेताओं को टिकट देने के पीछे आम आदमी पार्टी (आप) की दलील है कि सीट पर सुनिश्चित जीत तय करने के लिए यह कदम उठाया गया है। विधायकों का टिकट काटने के बाद पार्टी अपने किसी अनाम चेहरे को टिकट देकर सीट फंसाना नहीं चाहती थी।

एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि चुनाव की तारीख घोषित होने के साथ ही आप ने अपने सभी विधायकों के बीच पांच साल के कामकाज का सर्वे कराया। इसमें से 15 विधायकों को कामकाज खराब होने के साथ इनकी अपने इलाके में पकड़ भी मजबूत नहीं थी। फिर, आम लोगों में विधायकों से नाराजगी भी थी। इसके आधार पर पार्टी ने इनका टिकट काटने का फैसला लिया था। 

इनकी जगह पार्टी को ऐसे उम्मीदवारों की तलाश थी, जो आप की जीत की राह आसान कर सकें। इसमें कांग्रेस के दिग्गज नेता बेहतर थे। पार्टी का मानना है कि इन नेताओं की अपने इलाके में निजी स्तर पर मजबूत पकड़ है। पूर्व कांग्रेसी विधायकों की अपने जनाधार के साथ आप का वोट मिल जाने से सीट जीतना पक्का रहेगा। इसी रणनीति के तहत पार्टी इनको टिकट दिया है।

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