भारत-चीन के बीच लगातार बढ़ रही तनातनी के बीच संघ ने एक महत्वपूर्ण बैठक कर सरकार को इस मुद्दे पर पूरा समर्थन देने के साथ देश में चीन निर्मित सामान के बहिष्कार के लिए चलाए जाने वाले अभियान का नेतृत्व करने का फैसला किया है। इस बैठक में संघ के शीर्ष पदाधिकारियों ने भाग लिया। तीन दिवसीय यह बैठक सोमवार को ही समाप्त हुई है। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत भाग नहीं ले पाए।
सूत्रों के अनुसार बैठक में चीन के सामान का बहिष्कार करने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। अभी तक चीनी सामान के विरुद्ध स्वदेशी मंच जैसे संगठन ही उठाते रहे हैं। समझा जा रहा है आने वाले दिनों में संघ के शीर्ष पदाधिकारी इस संबंध में अपने विचार लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। बैठक में संघ ने गलवन घाटी में बलिदान देने वाले 20 बहादुर सैनिकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर भारतीय सेना की भूमिका की सराहना की गई। बैठक में केंद्र सरकार को कोरोना संबंधी दिशा निर्देशों को ध्यान में रखते हुए फिर से शाखाएं शुरू करने पर विचार किया गया। हालांकि इस संबंध में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। बैठक में सुरेश भय्याजी जोशी, दत्तात्रेय होसबले, डा.कृष्ण गोपाल, सुरेश सोनी, रमेश पप्पा, रामलाल, अरुण कुमार, सुनील आंबेकर आदि उपस्थित थे।
महाराष्ट्र ने भी करार होल्ड किया
गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन की कायराना हरकतों को लेकर देशभर में गुस्सा देखा जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने चीन की तीन कंपनियों के साथ हुए करीब 5,000 करोड़ रुपये के करार पर यथास्थिति बनाए रखने की घोषणा की है। दूसरी ओर गोवा सरकार भी 1400 करोड़ की एक पुल निर्माण परियोजना की कंसल्टेंसी से चीनी फर्म को बाहर करने पर विचार कर रही है।