के. विक्रम राव
वरिष्ठ पत्रकार
मोदी सरकार वाले नागरिकता संशोधन विधेयक के विरुद्ध जेहाद छेड़ने वाली इस्लामी तंजीमों से यह सवाल है, खासकर गंगा – जमुनी तहजीब वालों और सेक्युलर भारतीयों से भी कि क्या वे मोदी सरकार से माँग करेंगे कि बांग्लादेश में इस्लामी सरकार द्वारा पीड़ित और फिर निर्वासित हुई, लेखिका तसलीमा नसरीन को भारतीय नागरिकता दे दें| वह भी तो आखिर गैरहिन्दू हैं पर ढाका में कट्टर इस्लामियों द्वारा प्रताड़ित की गई थीं। तसलीमा को भारतीय नागरिकता अब तक न देकर, मोदी सरकार के विधेयक की एकांगिकता और विषमता जग जाहिर हो जायेगी |
हैदराबाद के सांसद ओवैसी को सबसे पहले आवाज उठानी चाहिए| उन्हीं के मजलिसे मुसलमीन के लोंगों ने तसलीमा को हैदराबाद में जिन्दा जलाने की कोशिश की थी|
पीवी नरसिम्हा राव से अटल बिहारी वाजपेयी से होते हुए अमित शाह तक सभी की सरकारें भारतीय मुसलमानों से डरती रहीं क्योंकि वे लोग तसलीमा का सिर चाहते थे| बांग्लादेश की इस्लामी सरकार की भांति| तसलीमा का यही गुनाह था कि उसने बाबरी ढांचा ध्वस्त होने के बाद बंग्लादेश में हिन्दू महिलाओं के साथ हुए सामूहिक बलात्कार का विरोध अपने उपन्यास ‘लज्जा’ में किया था|
K Vikram Rao
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