वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि शाहीन बाग़ में चल रहा विरोध प्रदर्शन ग़लत है. जिस नागरिकता क़ानून का विरोध किया जा रहा है वो न तो वापस होने वाला है और न ही उसमें ऐसा कोई प्रावधान है जिससे भारत के मुसलमानों को चिंता होनी चाहिए।
वो कहते हैं, ”जिस तरह रास्ता रोककर विरोध प्रदर्शन चल रहा है वो असंवैधानिक है। इस क़ानून में ऐसी कोई बात नहीं है जिससे मुसलमानों को डर हो। अब वो बात करते हैं कि एनपीआर आ जाएगा, फिर एनआरसी आ जाएगा, जिससे वो देश से बाहर हो सकते हैं, तो आशंका के आधार पर विरोध सही नहीं है। जब वो चीज़ें आएं तब उनका विरोध करें अभी तो यह सही नहीं है। ”
दिल्ली में चुनाव हो चुके हैं, क्या केंद्र सरकार अब इस विरोध प्रदर्शन को ख़त्म करवा सकती है? इस सवाल पर प्रदीप सिंह कहते हैं कि सरकार चाहे तो ख़त्म करवा सकती है लेकिन मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट में इसे लेकर सुनवाई होनी है। अगर सरकार कोई फ़ैसला लेती है तो सरकार से जवाब मांगा जा सकता है कि जब मामला कोर्ट में था तो उसने कोई एक्शन क्यों ले लिया। पहली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कहा है कि आपको विरोध जताने का अधिकार है लेकिन तय जगह पर. ऐसे रास्ता रोक विरोध ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा, ”सरकार पुलिस का सहारा लेकर प्रदर्शन ख़त्म करवा सकती है। लेकिन इसके परिणाम विपरीत हो सकते हैं. वहां छोटे-छोटे बच्चे और महिलाओं की तादाद ज़्यादा है। अगर किसी को कुछ होता है तो बात बिगड़ सकती है इसलिए सरकार पुलिस के जरिए विरोध ख़त्म नहीं कराना चाहती. लेकिन अब तो दो केंद्रीय मंत्रियों ने भी ये कह दिया है कि सरकार बात करने को तैयार है, तो शाहीन बाग़ के लोगों को जाना चाहिए। सरकार अभी कोई क़दम नहीं उठाएगी क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अभी कोई एक्शन लेना उलटा पड़ सकता है। इसलिए कोर्ट के फ़ैसले के बाद ही सरकार कोई क़दम उठाएगी।”‘
दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल की भूमिका को लेकर उनका मानना है कि विरोध प्रदर्शन ख़त्म कराने में दिल्ली सरकार की कोई ख़ास भूमिका नहीं हो सकती क्योंकि नागरिकता संशोधन क़ानून केंद्र सरकार ने बनाया है।
दिल्ली की पुलिस भी केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है। यह कानून व्यवस्था का मामला है और दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय के आदेश का इंतज़ार कर रही है।
हालांकि वो यह भी कहते हैं कि जिस तरह सीएए को वापस लेने की मांग की जा रही है वो ग़लत है। प्रदीप सिंह कहते हैं, ”आज कुछ लोग सीएए वापस लेने की मांग कर रहे हैं. केंद्र का अगर कोई प्रतिनिधि शाहीन बाग़ जाकर बात करे, या ख़ुद गृह मंत्री या प्रधानमंत्री वहां चले जाएं तो इससे भी एक ग़लत संदेश जाएगा और कल को इससे बड़ी तादाद में लोग जमा हो गए और सीआरपीसी को ख़त्म करने की मांग करने लगे तो क्या होगा।”
प्रदीप सिंह कहते हैं, ”अगर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि आप रास्ता खाली कर दीजिए वहां से हट जाइए, लेकिन अगर वो नहीं हटते तब फोर्स का इस्तेमाल किया जाएगा।”