वाराणसी। कोरोना काल में जहां आम लोग परेशान हैं, तो वहीं कैदियों की बल्ले-बल्ले हो गई है। कोरोना संक्रमण का फायदा उठाकर प्रदेश के कई जिलों में दर्जनों कैदी गायब हो चुके हैं। दरअसल, कोरोना काल में उत्तर प्रदेश सरकार ने जेल से बंदियों को पैरोल पर छोड़ने के आदेश दिए थे। लेकिन समय पूरा होने के बाद भी कैदी वापस नहीं आ रहे हैं।
कुछ ऐसे ही कोरोना के खौफ के चलते पिछले साल वाराणसी के जिला कारागार से पेरोल पर रिहा हुए कैदियों में से छह का अब तक पता नहीं चला है। पेरोल की मियाद खत्म होने के पांच माह समय गुजर जाने पर भी उन्होंने जेल में आमद नहीं कराई है। सजायाफ्ता ये कैदी अब जेल और पुलिस प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गए हैं। शासन के फरमान के बाद पुलिस इनकी गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ दबिश दे रही है।
पिछले साल कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने शासन से ऐसे विचाराधीन बंदियों व कैदियों को पेरोल पर रिहा करने को कहा था, जिन्हें दोष सिद्ध होने पर सात साल की सजा हुई हो या फिर ऐसा जुर्म जिसमें इतनी ही अवधि की सजा हो सकती हो। शासन का आदेश आने के बाद दो अप्रैल 2020 को जिला जेल प्रशासन ने 67 बंदियों व कैदियों को आठ सप्ताह के पेरोल पर रिहा कर दिया था। इसके बाद शासन ने जून व सितंबर माह में दो बार आठ-आठ सप्ताह का पेरोल बढ़ा दिया था।
13 नवंबर को पेरोल अवधि समाप्त होने पर धीरे-धीरे 61 ने या तो जेल में आमद करा ली या अदालत से जमानत ले लिया। छह कैदी जैतपुरा थानांतर्गत जलालीपुरा बक्कुल चौहान, फूलपुर के तरसडा का हरेंद्र, चंदौली महाबलपुर निवासी शहनवाज, चंदौली कटशीला निवासी अशोक सिंह, चंदौली चौरहट पडाव निवासी अबरार अहमद व जौनपुर के सरपतहां भदौली निवासी गिजा शंकर तिवारी ने अब तक आमद नहीं कराई है। सभी सात साज से कम सजा वाले हैं। दो दिन पहले प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन ने जेल में हाजिर न होने वाले पेरोल पर छूटे कैदियों को गिरफ्तार करने का आदेश जारी किया। पुलिस प्रशासन अब इनकी गिरफ्तारी के लिए सरगर्मी से तलाश में जुट गया है। जेल सूत्रों के अनुसार इनके घर पर भी पत्र व्यवहार किया गया, मोबाइल फोन से भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उनके बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी है। आशंका है कि उन्होंने अपना पता ही गलत बताया है।
बोले जेल अधिकारी
वाराणसी के जेलर पवन द्विवेदी ने कहा कि पेरोल की मियाद बीत जाने के बाद हाजिर न होने वाले तीनों कैदियों के बारे में जेल प्रशासन की तरफ से जिलाधिकारी को सूचना देने साथ ही पुलिस अधीक्षक को गिरफ्तार करने के लिए लिखा गया है।