नेपाल में सियासी संकट गहराता जा रहा है। एक तरफ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सदन को भंग करने की सिफारिश लिए राष्ट्रपति के पास पहुंच गए, वहीं दूसरी तरफ उनकी ही पार्टी यानी सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने इसे लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ बताया है। प्रवक्ता नारायणजी श्रेष्ठ ने कहा कि यह निर्णय जल्दबाजी में किया गया है, क्योंकि आज सुबह कैबिनेट की बैठक में सभी मंत्री उपस्थित नहीं थे। यह लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है और राष्ट्र को पीछे ले जाएगा। इसे लागू नहीं किया जा सकता।

संसद को भंग करने के लिए कैबिनेट की सिफारिश के बाद नेपाल की विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने आज एक आपात बैठक बुलाई है।

रविवार को जब कैबिनेट की आपात बैठक सुबह 10 बजे बुलाई गई थी, तो काफी हद तक उम्मीद की जा रही थी कि यह अध्यादेश को बदलने की सिफारिश करेगी। लेकिन इसके बजाय, मंत्रिमंडल ने सदन को भंग करने की सिफारिश की। एक मंत्री के अनुसार, जैसे ही मंत्रिमंडल की बैठक शुरू हुई, ओली ने घोषणा की कि वह राष्ट्रपति को सदन भंग करने की सिफारिश करने वाले है। किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया।

ओली ने शनिवार को अपने साथी और पार्टी के अध्यक्ष पुष्पा कमल दहल के साथ-साथ सचिवालय के सदस्य राम बहादुर थापा और शाम को राष्ट्रपति भंडारी के साथ कई दौर की बैठकें की। चूंकि संविधान में सदन के विघटन का प्रावधान नहीं है, इसलिए इस कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here