काठमांडू. नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पीएम पद से इस्तीफे के दबाव के बीच कैबिनेट की आपातकालीन बैठक बुलाई है। मिली खबर के मुताबिक ओली ने देर रात चीनी राजदूत (Chinese Ambassador) से भी मुलाक़ात कर मदद मांगी थी लेकिन वहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है। ऐसी ख़बरें हैं कि पार्टी को टूटने से बचने के लिए ओली को जल्द इस्तीफा देना पड़ सकता है।

केपी शर्मा ओली और कैबिनेट में उसके करीबी मंत्रियों के बीच पिछले कई घंटों से बैठक जारी है। कुछ ही देर में पूरे कैबिनेट की आपात बैठक भी शुरू हो जाएगी। अगर ओली प्रधानमंत्री ‌पद से इस्तीफा नहीं देते तो दबाव बनाने के लिए माओवादी खेमे के मंत्री इस्तीफा भी दे सकते हैं। उधर ओली पार्टी की स्थाई समिति की इस्तीफे की मांग न मानकर संसदीय दल में बहुमत जुटाने का विकल्प चुन सकते हैं।

पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कहा है कि भारत के संदर्भ में प्रधानमंत्री की टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी। प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर सत्तारूढ़ पार्टी की स्थायी समिति की बैठक शुरू होते हुए ही प्रचंड ने रविवार को प्रधानमंत्री द्वारा की गयी टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की थी। उन्होंने कहा, ‘भारत उन्हें हटाने का षड्यंत्र कर रहा है, प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी न तो राजनीतिक तौर पर ठीक थी न ही कूटनीतिक तौर पर यह उचित थी।

ऐसा माना जा रहा था कि चीन के उकसावे के चलते ही ओली लगातार भारत विरोधी रुख अख्तियार किये हुए थे। हालांकि ऐसी ख़बरें हैं कि ओली के मुश्किल वक़्त में चीन ने भी उनका साथ छोड़ दिया है। जानकारी के मुताबिक कल देर रात तक चलती रही बैठक। चीनी राजदूत को भी प्रधानमंत्री निवास में बुलाया गया था। सूत्रों के मुताबिक चीनी राजदूत ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पार्टी को टूटने से बचने के लिए ओली का इस्तीफा ही एकमात्र विकल्प बचा है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर ओली पीएम पद छोड़ देते हैं तो उनका पार्टी अध्यक्ष का पद बच सकता है।

एक वरिष्ठ नेता ने प्रचंड के हवाले से बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा पड़ोसी देश और अपनी ही पार्टी के नेताओं पर आरोप लगाना ठीक बात नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रचंड के अलावा, वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल, उपाध्यक्ष बमदेव गौतम और प्रवक्ता नारायणकाजी श्रेष्ठ ने प्रधानमंत्री को अपने आरोपों को लेकर सबूत देने और त्यागपत्र देने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस तरह की टिप्पणी के लिए नैतिक आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। हालांकि, बैठक में मौजूद प्रधानमंत्री ने कोई टिप्पणी नहीं की।।

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