लक्ष्मी कान्त द्विवेदी
भारतीय सेना इस समय राकेट और मिसाइलों के साथ-साथ गोला-बारूद भी जुटाने में लगी है। अभी तो यह सारी कवायद 10(1) यानी दस दिनों तक चलने वाले भीषण युद्ध में सेना की जरूरतों को ध्यान में रख कर की जा रही है। लेकिन इसके पूरा होते ही 40 (1), यानी चालीस दिन तक चलने वाले भीषण युद्ध के मद्देनजर तैयारी की जाएगी। वैसे ये सारी तैयारियां किसी आसन्न खतरे से निबटने के लिए नहीं, बल्कि 2022-23 तक सेना को और मजबूत बनाने के लिए की जा रही हैं।
गौरतलब है कि, एक अरसे से कैग एवं संसदीय समितियां सेना के पास हथियारों की कमी का मुद्दा उठाती रही हैं, लेकिन उरी हमले के बाद जब जवाबी कार्रवाई की बात उठी तब सेना के पास गोला-बारूद की कमी बहुत शिद्दत से महसूस की गयी। उसी समय सेना को दस दिनों तक चलने वाले भीषण युद्ध के लिए पूरी तरह से तैयार करने का फैसला किया गया था।
इसके तहत जल, थल और वायु तीनों सेनाओं को वित्तीय अधिकार दिये गये। यही नहीं हथियारों से ले कर इंजन तक की खरीद के लिए 24 हजार करोड़ रुपये के सौदे किये गये। सेना के लिए स्मर्च राकेट, कोंकुर एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल, 125 एम एम एपीएफएसडीएस और अन्य हथियारों की खरीद के लिए रूस एवं दूसरे देशों की कंपनियों के साथ 19 सौदे किये गये। फिलहाल पहले जो सामान कम पड़ते थे उन्हें तो पूरा कर लिया गया है, लेकिन 12890 करोड़ रुपये के 24 सौदे अभी पाइप लाइन में हैं, जिनमें 19 विदेशी कम्पनियों के साथ हुए सौदे भी शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि, फिलहाल हमारा ध्यान पश्चिमी सीमा पर है। लेकिन हमें अपना रिजर्व पाकिस्तान और चीन दोनों को ध्यान में रखकर खड़ा करना होगा। वैसे 40(1) स्तर की तैयारी काफी सोच-समझकर करनी होगी, क्योंकि हर हथियार की अधिक मात्रा में जरूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा जरूरत से ज्यादा गोला-बारूद का भंडारण लागत और सहूलियत के नजरिए से भी उचित नहीं माना जाता। रक्षा मंत्रालय का यह भी मानना है कि, 2022-23 के बाद अगले दस वर्षों में घरेलू निजी कम्पनियों को विदेशी कम्पनियों के साथ मिलकर टैंक, तोपखाने और पैदल सेना के काम आने वाले आठ अलग-अलग तरह के हथियार बनाने में सक्षम बनाया जाए, जिनकी सालाना कीमत 1700 करोड़ रुपये आंकी गयी है।
इसके अलावा हथियारों में तकनीकी खामियों की वजह से होने वाले हादसों के मद्देनजर रक्षा मंत्रालय आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के तहत आने वाली 41 फैक्ट्रियों के संचालन और गुणवत्ता नियंत्रण को बेहतर बनाने की दिशा में भी काम कर रहा है।