बलूचिस्तान की युवा मानवाधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच की मौत को टोरंटो पुलिस ने मंगलवार गैर-आपराधिक घटना करार दिया है। पुलिस के अधिकारियों का कहना है कि जांच में किसी भी तरह की ऐसे सबूत नहीं मिले हैं, जिससे मौत पर शक किया जाए।

टोरेंटो पुलिस ने ट्वीट किया, “मौत की परिस्थितियों की जांच की गई है और अधिकारियों ने इसे एक गैर-आपराधिक मौत के रूप में बताया है। संदेह करने के लिए कोई वजह नहीं मिली है। इस बारे में परिवार को भी जानकारी दे दी गई है।”

हालांकि, सोशल मीडिया पर टोरेंटो पुलिस की जांच पर सवाल खड़े होने लगे हैं। लोग पुलिस पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे हैं कि मौत के तुरंत बाद कैसे किसी भी फैसले तक पहुंचा जा सकता है। पुलिस की यह जांच फर्जी है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ”आखिर, कैसे मौत के कुछ ही घंटों में पुलिस ने फैसला सुना दिया? टोरेंटो पुलिस कैसे काम कर रही है।” 

वहीं, एक अन्य यूजर ने टोरेंटो पुलिस की जांच को फर्जी बताते हुए उन पर आतंकवादियों के साथ खड़े होने का आरोप लगाया है। यूजर ने लिखा, ”दुनिया को धोखा मत दो। अपनी नकली जांच के अनुसार, आप आतंकवादियों के साथी लगते हैं। निर्मम हत्या के मामले में आपके भी शामिल होने की आशंका है। आपने जो महान नेता के साथ किया, उसका भुगतान आपको करना पड़ेगा।”

झील के किनारे मिला था बलूच का शव

करीमा बलूच कनाडा के टोरंटो शहर में एक झील किनारे संदिग्ध परिस्थितियों में मृत मिली थीं। करीमा 2016 में उस वक्त सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रक्षा बंधन पर एक वीडियो संदेश रिकॉर्ड किया था। इसमें कहा था कि हम आपको हमारा भाई मानते हैं। साथ ही बलूचिस्तान में युद्ध अपराधों के प्रति आवाज उठाने की विनती की थी। वह रविवार दोपहर करीब तीन बजे संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थीं। टोरंटो पुलिस ने बलूच कार्यकर्ता को ढूंढने में जनता से मदद मांगी थी। इस बीच उनका शव टोरंटो के पास एक झील के किनारे बरामद हुआ। उनके पति हम्माल हैदर और भाई ने शिव की शिनाख्त की है। 

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