सुल्तानपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश की जनता को बहुप्रतीक्षित पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात दी। सुल्तानपुर जिले के करवल खीरी में पीएम मोदी ने 36 महीने में बने 341 किलोमीटर लंबे इस पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया।इस एक्सप्रेस-वे के साथ ही इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना भी की जायेगी। उद्घाटन कार्यक्रम में सीएम योगी सहित उनकी कैबिनेट के सदस्यों के अलावा क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

अपने सारगर्भित संबोधन में सरकार के विकास कार्यों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री जी टे कहा कि हमारे जिन किसान भाई-बहनों की भूमि इस एक्सप्रेस-वे में लगी है, जिन श्रमिकों का पसीना इसमें लगा है, जिन इंजीनियरों का कौशल इसमें लगा है, उनका भी मैं बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। मैं यूपी के ऊर्जावान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, उनकी टीम और यूपी के लोगों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

मुझे मालूम था कि जिस तरह तब की सरकार ने यूपी के लोगों के साथ नाइंसाफी की थी, विकास में भेदभाव किया। जिस तरह सिर्फ अपने परिवार का हित साधा, यूपी की जनता ऐसा करने वाली सरकार को हमेशा-हमेशा के लिए यूपी के विकास के रास्ते से हटा देंगी। 2014 मे केंद्र मे जब हमारी सरकार बनी तब मैने यूपी का हाल जाना, उसकी पीड़ा को समझा। तब हालत यह थी कि वोट बैंक बिदक न जाए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को हमार साथ खड़े होने मे शर्म आती थी।

पीएम मोदी ने कहा कि गरीबों को पक्के घर मिलें, गरीबों के घर में शौचालय हों, महिलाओं को खुले में शौच के लिए बाहर ना जाना पड़े, सबके घर में बिजली हो, ऐसे कितने ही काम थे, जो यहां किए जाने जरूरी थे। लेकिन मुझे बहुत पीड़ा है, कि तब यूपी में जो सरकार थी, उसने मेरा साथ नहीं दिया।

कौन भूल सकता है कि यूपी में पहले कितनी बिजली कटौती होती थी। कौन भूल सकता है कि यूपी में कानून व्यवस्था की क्या हालत थी। कौन भूल सकता है कि यूपी में मेडिकल सुविधाओं की क्या स्थिति थी। यूपी में तो हालात ऐसे बना दिये थे कि यहाँ सड़कों पर राह नहीं, राहजनी होती थी।

पिछले मुख्यमंत्रियों के लिए विकास वहीं तक सीमित था जहां उनका घर था। लेकिन आज जितनी पश्चिम की पूछ है, उतनी ही पूर्वांचल के लिए भी प्राथमिकता है। पूर्वांचल एक्सप्रेसवे आज यूपी की इस खाई को पाट रहा है, यूपी को आपस में जोड़ रहा है।

ये भी एक सच्चाई थी कि यूपी जैसा विशाल प्रदेश, पहले एक दूसरे से काफी हद तक कटा हुआ था। अलग अलग हिस्सों में लोग जाते तो थे लेकिन एक दूसरे से कनेक्टिविटी ना होने की वजह से परेशान रहते थे। पूरब के लोगों के लिए लखनऊ पहुँचना भी महाभारत जीतने जैसा होता था।

परिणाम ये हुआ कि ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में यहां लगे अनेक कारखानों में ताले लग गए। इन परिस्थितियों में ये भी दुर्भाग्य रहा कि दिल्ली और लखनऊ, दोनों ही स्थानों पर परिवारवादियों का ही दबदबा रहा। सालों-साल तक परिवारवादियों की यही पार्टनरशिप, यूपी की आकांक्षाओं को कुचलती रही।

एक व्यक्ति घर भी बनाता है तो पहले रास्तों की चिंता करता है, मिट्टी की जांच करता है, दूसरे पहलुओं पर विचार करता है। लेकिन यूपी में हमने लंबा दौर, ऐसी सरकारों का देखा है जिन्होंने कनेक्टिविटी की चिंता किए बिना ही औद्योगीकरण के सपने दिखाए। “

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