भारतीय मौसम विभाग के प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के क्षेत्रों को भी अब अपने मौसम पूर्वानुमान में शामिल कर लिया है । अधिकारियों ने इस आशय की जानकारी दी ।

गौरतलब है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हाल के अपने आदेश में 2018 के गवर्नमेंट ऑफ गिलगित बाल्टिस्तान ऑर्डर में संशोधन की इजाजत दे दी ताकि क्षेत्र में आम चुनाव कराए जा सकें। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि गिलगित- बाल्टिस्तान सहित पूरा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न अंग हैं और पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को तुरंत मुक्त कर देना चाहिए।

प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय मौसम विभाग ने गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद के लिये भी पूर्वानुमान जारी करना प्रारंभ किया है जो अभी पाकिस्तान के कब्जे वाला इलाका है । इस संबंध में पूर्वानुमान जम्मू कश्मीर मौसम विज्ञान उप मंडल के तहत 5 मई से जारी किया जा रहा है। 

वहीं, आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा कि वे पिछले वर्ष अगस्त में जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद पीओके के तहत इन क्षेत्रों के लिये दैनिक बुलेटिन में उल्लेख करते रहे हैं ।  अधिकारियों ने कहा कि अब वे इसका उल्लेख विशिष्ट तौर पर जम्मू कश्मीर उप मंडल के तहत कर रहे हैं । पाक के कब्जे वाले कश्मीर स्थित इन शहरों का जिक्र अब उत्तर पश्चिम डिविजन के सम्पूर्ण पूर्वानुमान में हो रहा है । 

उत्तर पश्चिम डिविजन के तहत नौ उप मंडल आते हैं जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली-चंडीगढ़-हरियाणा, पंजाब, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश , पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान शामिल हैं । इस घटनाक्रम का महत्व ऐसे समय में काफी बढ़ जाता है जब भारत ने हाल ही एक बार फिर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि पीओके भारत का हिस्सा है। इसमें गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद शामिल है । इन शहरों के लिये मौसम पूर्वानुमान जारी करना तब शुरू किया गया है जब कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गिलगिट बाल्टिस्तान में चुनाव की अनुमति दी थी । भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी । 
 
सूत्रों ने बताया, चूंकि पीओके के तहत इन शहरों के लिये दैनिक राष्ट्रीय मौसम बुलेटिन और पूर्वानुमान व्यक्त किया जाता है, तो इसका उल्लेख प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र में भी किया जाना चाहिए ।

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