सरकार अब भी रोज एक लाख मरीजों का टेस्ट (test )नहीं कर पा रही है। जबकि अगले महीने का यही लक्ष्य रखा गया है। बड़ा सवाल यही खड़ा हो गया है कि क्या हम इस लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे? क्योंकि, अभी हम प्रतिदिन करीब 30 हजार जांच ही कर पा रहे हैं। इस समय कोरोना संक्रमित देशों की संख्या करीब 213 है। इन देशों में प्रति दस लाख आबादी के हिसाब से भारत सिर्फ 33 देशों से ज्यादा टेस्ट कर रहा है जबकि 38 देशों के जांच के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं।

एन्टी बाडी टेस्ट किट

सार्क मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. रवि वानखेडकर के मुताबिक, हमारे यहां बहुत ही कम टेस्टिंग हो रही है। आज की स्थिति में कम से कम एक लाख टेस्ट रोज होने चाहिए। पिछले करीब डेढ़ माह में आईसीएमआर( icmr) में 82 कंपनियों ने आरटी-पीसीआर किट सत्यापित करवाने के लिए आवेदन किया है। इनमें 17 कंपनियों को वैलिडेट ( validate)किया गया है। इनकी मशीन और किट के परिणाम सही हैं।

मई में किट मिलनी शुरू हो जाएंगी

दूसरी तरफ जांच का दायरा बढ़ाते हुए आईसीएमआर ने 1.07 करोड़ आरटी-पीसीआर टेस्ट किट का टेंडर(tendar ) निकाला है। इसमें 52.25 लाख वीटीएम किट, 25 लाख रीयल टाइल पीसीआर कॉम्बो किट, 30 लाख आरएनए एक्सट्रेक्शन किट शामिल हैं। ये किट मई की शुरुआत में मिलनी शुरू हो जाएंगी।
डैंग लैब के प्रमुख डॉ. नवीन के अुनसार, एक वीटीएम किट की कीमत 250-500 रु.,

Rt pcr किट

आरटी-पीसीआर के एक किट की कीमत 1000-1500 रु., आरएनए एक्सट्रेक्शन किट( exstraction kit) की कीमत 300-700 रु. होती है। करीब 700 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। देश में दो तरह के टेस्ट हो रहे हैं। एक है आरटी-पीसीआर टेस्ट, जिससे संक्रमण का पता चलता है और दूसरा, आरटी-पीसीआर टेस्ट, जो यह बताती है कि कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव है। इसमें सैंपल लेने की स्ट्रिप ( strip)के अलावा कई तरह के रीएजेंट्स का इस्तेमाल होता है। पूरी प्रक्रिया में करीब 5 घंटे लगते हैं।

रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट सिर्फ सर्विलांस के लिए

यह टेस्ट स्ट्रिप की मदद से किया जाता है। इसका परिणाम केवल 15 मिनट में आ जाता है।आईसीएमआर के वैज्ञानिक डॉ. गंगा खेडकर का कहना है कि यह टेस्ट सिर्फ किसी इलाके में सर्विलांस करने के लिए है।
जानकारों का कहना है कि पहले वीटीएम (vtm ) से नमूने लेते हैं। एक ट्यूब की मदद से गले या नाक के पिछले हिस्से से टेस्टिंग के लिए स्वैब (swab ) लिया जाता है। यहां इस ट्यूब को 20 सेकंड तक रखा जाता है। स्वैब वाली स्ट्रिप और नमूनों को रखने वाले बक्से को वीटीएम यानी वायरस ट्रांसमिशन मीडिया कहते हैं। इसके बाद आरएनए (राइबोन्यूक्लिक एसिड) एक्स्ट्रैक्शन मशीन से सैंपल में से आरएनए निकालते हैं। इस मशीन की कीमत 40 लाख से एक करोड़ रुपए तक है। कई लैब्स में अभी ये महंगी मशीन नहीं है। ऐसे में उन्हें मैनुअल आरएनए निकालना पड़ता है।

एन्टी बॉडी टेस्ट किट

इसके बाद आरटी-पीसीआर मशीन में आरएनए डालते हैं। साथ में कुछ रीएजेंट्स भी डाले जाते हैं। मशीन को करीब डेढ़ घंटे चलाते हैं। इसके बाद पता चलता है कि मरीज पॉजिटिव है या नहीं जबकि रैपिड टेस्ट किट के आधार पर मरीज को पॉजिटिव नहीं गिन सकते हैं।

आरटी-पीसीआर टेस्टिंग किट बनाने वाली कंपनी ह्यूवेल लाइफसाइंसेस की किट से एक सैंपल की जांच करने में 900 से 1100 रु. लगेंगे। इसकी जानकारी भी सरकार को है। कंपनी अधिकांश कंपोनेंट स्वयं बना रही है। दूसरी ओर आईसीएमआर के रिसर्च मैनेजमेंट, पॉलिसी प्लानिंग एंड बायोमेडिकल कम्युनिकेशन विभाग के हेड डॉ. रजनीकांत श्रीवास्तव कहते हैं कि अब 352 से अधिक लैब्स में जांच हो रही है। वहीं, दूसरी तरफ सरकार तैयारी में है कि जरूरत पड़ी तो दो शिफ्टों में भी लैब्स काम करेंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here