मौक़ा कोई भी हो पाकिस्तान अपनी फ़ितरत, अपनी नीचता दिखाने से बाज नहीं आता। कोरोना वायरस के खिलाफ साझा लड़ाई के मौके पर भी मामले की गंभीरता को दरकिनार कर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर का मुद्दा उठा बैठा । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर रविवार को सार्क देशों के राष्ट्राध्यक्षों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुए सम्मेलन के दौरान अपने शातिर चरित्र से मजबूर पाकिस्तान ने कोरोना की आड़ में जम्मू-कश्मीर में जारी प्रतिबंधों का मुद्दा उठाते हुए इसे तत्काल समाप्त करने की मांग की। जबकि सार्क के दूसरे सभी देशों ने मोदी की पहल का स्वागत करते हुए कोरोना के कहर से निबटने के लिए एक-दूसरे की मदद को वक्त की जरूरत बताया।
पहली बात तो यह कि कश्मीर पर बात करने का कोई हक नहीं है। क्योंकि धारा 370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर अब केन्द्र शासित प्रदेश हो चुका है। दूसरे वहां अब किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं है। भारत का एक एजेन्डा जरूर अधूरा है अंतर वो है पाक अधिकृत क्षेत्र हासिल करना।

फंड मे 74 करोड देने की घोषणा

सार्क देशों में कोरोना से निबटने के लिए कोविड-19 इमजेंसी फंड बनाने की घोषणा करते हुए मोदी ने भारत की ओर से इसमें 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 74 करोड़ रुपये) देने का ऐलान किया।

एक बार फिर पाक का असली चेहरा आया सामने

मानवता पर संकट के समय भी कश्मीर का मुद्दा उठाने पर कड़ा एतराज जताते हुए भारतीय विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इससे एक बार फिर पाकिस्तान का असली चेहरा सामने आ गया है। इससे यह भी साफ हो गया कि पाकिस्तान कोरोना वायरस से आम लोगों की सुरक्षा को लेकर कितना गंभीर है। सम्मेलन में श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद थे। यही नहीं, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने तो खराब स्वास्थ्य के बावजूद इसमें हिस्सा लिया। लेकिन पाकिस्तान क प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी जगह स्वास्थ्य सलाहकार को जफर मिर्जा को भेज दिया। सम्मेलन के दौरान भी सभी सार्क देश कोरोना से निबटने के लिए साझा रणनीति पर चर्चा कर रहे थे, वहीं जफर मियां इससे निबटने के लिए चीन के प्रयासों का गुणगान करते हुए उससे सीखने की सलाह दे रहे थे।

पीएम मोदी ने इमरजेंसी फंड बनाने को कहा

जहां एक ओर दुनिया के सभी देश अलग-अलग कोरोना वायरस से जूझ रहे हैं, वहीं भारत ने पहली बार एक क्षेत्रीय समूह की ओर से साझा प्रयास की पहल की। पीएम मोदी ने कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाने के लिए इस फ़ंड में दस मिलियन अमेरिकी डॉलर के अंशदान की घोषणा करते हुए कहा कि भारत के विशेषज्ञ डाक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों व वैज्ञानिकों की टीम सार्क देशों के कहने पर कहीं भी जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एक हफ्ते के भीतर सार्क देशों में कोरोना से निबटने में जुटे विशेषज्ञों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें वे अपने-अपने अनुभवों को साझा करने के साथ ही एक-दूसरे की मदद करने योग्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

शेख़ हसीना ने की पीएम मोदी की तारीफ़

सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मुहम्मद सालिह ने कोरोना ग्रस्त इलाकों से अपने नागरिकों को बचाने के लिए पीएम मोदी की तारीफ की। सालिह ने कोरोना के कारण आए आर्थिक संकट का हवाला देते हुए इससे उबरने के लिए साझा प्रयास पर बल दिया। वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने राष्ट्राध्यक्षों की तरह से सभी देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों, स्वास्थ्य सचिव और विशेषज्ञों का भी इसी तरह का सम्मेलन बुलाने का सुझाव दिया। जबकि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कोरोना से ग्रसित मरीजों के इलाज के लिए सभी देशों के संसाधनों के साझा इस्तेमाल पर बल देते हुए मरीजों के इलाज के लिए एक-दूसरे देशों के अस्पतालों में भर्ती की इजाजत देने की अपील की।

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