विशेष संवाददाता

भारत में सीएए और एनआरसी की आड़ में मुस्लिमों के कथित उत्पीड़न का रोज़ाना ढिंढोरा पीटने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान, ख़ुद को दुनिया भर के मुसलमानों का सबसे बड़ा ख़ैरख़्वाह साबित करने के लिए बेताब तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन तथा मुस्लिम देशों के रहनुमा होने का दावा करने वाले सऊदी अरब ने चीन से आ रही वहां के मुसलमानों के ज़बरदस्त उत्पीड़न की ताज़ा रिपोर्टों पर एकदम चुप्पी साध ली है।

इधर भारत के कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के असद्दुदीन ओवैसी, वारिस पठान, तस्लीम रहमानी जैसे अन्य तमाम नेताओं को तो जैसे सांप सूंघ गया है। लोकतंत्र, संविधान और अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देकर सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ मुसलमानों को भड़का कर सड़कों पर उतार देने वाले इन कट्टरपंथियों की ज़बान पर चीन में हो रहे मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर जैसे ताले लग गये हैं, कोई चूं तक नहीं कर रहा।

चीन से आ रही मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ वहां के उइगर मुसलमान एक बार फिर चीन के निशाने पर हैं। चीन मानता है कि उइगर मुस्लिम उसके लिए बड़ा ख़तरा हैं। अब तक यह बात चीन के अंदर का खुला सच थी जो चीनी सरहदों से बाहर नहीं आ पाती थी, लेकिन आज सारी दुनिया यह हक़ीक़त जान गयी है कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम उत्पीड़न चीन में चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक बार फिर से रोजमर्रा के कामों को लेकर चीन में उइगर मुसलमानों को तंग किया जाने लगा है।

प्राप्त ख़बरों के अनुसार समाचार चीन ने उइगर के सबसे बड़े इमाम को भी क़ैद कर रखा गया है। दरअसल दशकों से पश्चिमी चीन में उइगर इमाम खेती करने वाले उइगर समुदाय के लोगों के लिए काम करते हैं। शुक्रवार को वह उपदेश देते थे कि इस्लाम शांति प्रिय धर्म है। रविवार को वह बीमार लोगों का हर्बल दवाओं से उपचार करते थे। सर्दियों में वह कोयले खरीदकर उइगर मुस्लिमों की मदद किया करते थे। लेकिन तीन साल पहले चीन ने लाखों उइगर मुस्लिमों को शिविरों में क़ैद कर लिया जिनमें उइगर इमाम एमर और उनके तीन बेटे भी शामिल है।

लीक डेटाबेस से हुआ खुलासा

समाचार एजेंसी एपी द्वारा जारी किए गए डेटाबेस में पता चला है कि अब भी 311 लोग चीन की नजरबंदी में हैं। इन सभी के रिश्तेदार विदेश में हैं। इस डेटाबेस में उनके दो हज़ार से ज़्यादा रिश्तेदारों, पड़ोसियों और दोस्तों के बारे में सूचनाएं सूचीबद्ध हैं। इसके अलावा इस डेटाबेस में एड्रेस से लेकर पड़ोसियों तक के नाम दिए गए हैं। ये डॉक्युमेंट पिछले एक साल के दौरान जारी किए गए हैं। इनमें इस बात की जानकारी नहीं दी गयी है कि इन दस्तावेज़ों को किस सरकारी विभाग ने तैयार किया है और क्यों?

चौंकाने वाले खुलासे 

डेटाबेस में दावा किया गया है कि सिर्फ राजनीतिक उग्रवाद ही नहीं बल्कि धर्म भी हिरासत में लेने का मुख्य कारण है। इतना ही नहीं रोजमर्रा की चीजें जैसे कि प्रार्थना, मस्जिद में जाना या फिर दाढ़ी बढ़ाना और नकाब पहनना भी हिरासत में लिए जाने के कारणों में शामिल हैं। कैंपों में अधिकतर ऐसे लोग हिरासत में हैं जो अपने रिश्तेदारों के साथ हैं। एमर की तरह ही इन लोगों के पूरे परिवार को शिविरों में क़ैद कर लिया गया है।

चीन सरकार ने साधी चुप्पी

चीनी सरकार भी इस मामले पर बोलने से बचती आयी है। जब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जेंग शुआंग से पूछा गया कि एक खास धर्म के लोगों और उनके परिवारों को निशाना बनाया जा रहा है तो उन्होंने कहा, ‘इस तरह की बकवास टिप्पणी करने लायक नहीं है।’

अब बड़ी बात ये है कि मुस्लिम देशों में भी चीन के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं बची है। अब तक यह बात चीन के अंदर का ही खुला सच थी जो चीनी सरहदों से बाहर नहीं आ सकी थी, लेकिन आज दुनिया जान गयी है कि दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम उत्पीड़न चीन में चल रहा है। लेकिन चीन के सामने मुंह खोलकर बात कहने की हिम्मत न तो पाकिस्तान में है और न ही किसी अन्य मुस्लिम देश में।

सऊदी अरब ने खड़े किए हाथ

उधर, उइगर मुसलमानों के चीन में हो रहे उत्पीड़न पर सऊदी अरब ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। चीन में प्रताड़ित हो रहे उइगर मुस्लिमों के नेताओं ने हाल ही में प्रिंस सलमान को पत्र लिख कर उन्हें इस प्रताड़ना से बचाने की गुहार लगायी थी. लेकिन प्रिंस सलमान ने साफ़ कर दिया है कि यह चीन का अंदरूनी मामला है और इसमें वे कुछ नहीं कर सकते

पाकिस्तान ने भी दिया झटका 

इससे पहले उइगर मुसलामानों की उम्मीद को झटका दिया था दुनिया के उस देश ने जो अपने-आपको दुनिया के मुसलमानों का सबसे बड़ा ख़ैरख़्वाह मानता है। यह देश है पाकिस्तान, जिसने चीन में पांच लाख से ज़्यादा उइगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी साध ली है। जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से इस बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं।

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