विशेष संवाददाता

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को एक ऐसी ट्रेन की शुरुआत की है जो तीन ज्योतिर्लिंग को एक साथ जोड़ती है। वाराणसी से इंदौर के लिए चलने वाली काशी महाकाल एक्सप्रेस से यात्रा करने वालोँ को काशी विश्वनाथ, उज्जैन मे विराजमान महाकाल और इन्दौर के समीप नर्मदा के तट पर स्थित ओम्कारेश्वर के दर्शन का सुयोग मिलेगा। यह ट्रेन इसीलिए सबसे अलग है। ट्रेन में एक सीट भगवान शिव के लिए सुरक्षित रखी गई है। ताकि यात्री उनके दर्शन का भी पुण्य लाभ ले सकें ।

दुर्भाग्यवश हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने में माहिर दूसरे जिन्ना कहे जाने वाले AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग कर एक ट्वीट किया है।

दरअसल, समाचार इन महाशय को तकलीफ महाकाल एक्सप्रेस के बी5 कोच में सीट नंबर 64 को मंदिर के रूप में बदल दिये जाने को लेकर है। ओवैसी का कहना है कि इस ट्रेन में भगवान शिव का मंदिर क्यों बनाया गया है ? ट्रेन में लोगों को भगवान शिव के दर्शन का लाभ क्यों मिले ?

कुरान और शरिया को सबसे ऊपर मानने वाले असदुद्दीन ओवैसी को इस मसले पर संविधान याद आने लगा। उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए संविधान की प्रस्तावना को साझा किया। जिसमें सभी धर्मों के साथ एक समान, सभी लोगों के साथ एक समान व्यवहार करने के बारे में लिखा गया है।

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी इससे पहले भी मोदी सरकार पर धर्म के आधार पर राजनीति करने का आरोप लगाते रहे हैं, जिसमें नागरिकता संशोधन एक्ट, नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन को लागू करना भी शामिल है।

पीएम मोदी ने दिखाई है हरी झंडी

स्मरणीय है कि रविवार 16 फरव’री को एक दिवसीय काशी दौरे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई योजनाओं की शुरुआत की थी। इन्हीं में से एक रही काशी महाकाल एक्सप्रेस की शुरुआत, ये ट्रेन भगवान शिन के तीन ज्योतिर्लिंगों ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर और काशी विश्वनाथ को एक साथ जोड़ेगी। इस ट्रेन का मकसद भगवान शिव के भक्तों को अच्छी सुविधा का एहसास कराना है। इसका मकसद धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहित करना है। लेकिन इसे ओवैसी जैसे साम्प्रदायिक रंग देने लग गये।

भारतीय रेलवे के मुताबिक, इस ट्रेन में यात्रियों का खास ख्याल रखा गया है। इसमें यात्रियों के मनोरंजन और अध्यात्मिक अहसास के लिए भजन-कीर्तन का आयोजन होगा। इस ट्रेन में शुरुआती दिनों में एक मंडली जाएगी, जो भजन-कीर्तन गाएगी। इसके बाद 20 फरवरी को भी एक मंडली का आयोजन होगा । इसके बाद लगातार कैसेट के माध्यम से प्रसारण के जरिए लोग ट्रेन में ही भजन-कीर्तन सुन सकेंगे।

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