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बुद्धिजीवी इस बात के लिए कोई तर्क नहीं दे सकते कि भारत को हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं होना चाहिए
बैरिस्टर खालिद उमर
यह किसी संघी नहीं बल्कि ब्रिटेन में बसे पाकिस्तानी मूल के विद्वान बैरिस्टर खालिद उम’र Khalid Umar की 14 अप्रैल को फेसबुक पर लिखी गयी पोस्ट है। इसका हिन्दी-अनुवाद अनिल सिंह ने किया है। क्या कोई और भी है जो चीज़ों को इतनी स्पष्टता से देख रहा है?
नरेन्द्र मोदी और भाजपा पर यह आरोप लगाया जाता है कि वे भारत को एक हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहते हैं। अगर ऐसा है भी, तो मैं पूछता हूँ कि इसमें हर्ज ही क्या है? भारत को अपनी पहचान एक हिन्दू राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में लज्जित होने की कोई आवश्यकता नहीं। हिन्दू धर्म जनसंख्या की दृष्टि से ईसाई और इस्लाम के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, पर इसका भौगोलिक विस्तार अन्य धर्मों की अपेक्षा सीमित रहा है। विश्व की 97% हिन्दू जनसंख्या केवल तीन हिन्दू-बहुल देशों- भारत, मॉरिशस और नेपाल में ही रहती है, और इस प्रकार अन्य प्रसारवादी धर्मों की अपेक्षा हिन्दू धर्म भारत और उससे भौगोलिक/ सांस्कृतिक रूप से जुड़े क्षेत्रों में केन्द्रीभूत है। विश्व के 95% हिन्दू भारत में रहते हैं जबकि इस्लाम की जन्मभूमि सऊदी अरब में विश्व के केवल 1.06% मुसलमान रहते हैं।
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