लक्ष्मी कान्त द्विवेदी

सूचना क्रान्ति के युग में अर्से से मांग की जा रही थी कि क्यों नहीं मतदाता को अलग अलग पासवर्ड देकर घर बैठे मतदान का अवसर प्रदान किया जाय।
निर्वाचन आयोग ने इसकी सुधि ली है और वह अब जल्दी ही ई वोटिंग के जरिये मतदान की व्यवस्था में एक ऐसे व्यापक बदलाव की तैयारी कर रहा है, जिससे मतदान के प्रतिशत में भारी इजाफा होने और फर्जी वोटिंग पर लगाम लगने के साथ-साथ देश की राजनीति में भी क्रांतिकारी परिवर्तन होने के उम्मीद है।

91.12 करोड़ वोटरों में से 45 करोड़ रोजगार के कारण रहते हैं दूसरे राज्यों में, ज्यादातर नहीं डाल पाते वोट

एक अनुमान के मुताबिक, देश के कुल 91.12 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से लगभग 45 करोड़ ऐसे हैं, जो अपनी नौकरी या काम-धंधे की वजह से उस राज्य से बाहर रहते हैं, जहां से वे पंजीकृत हैं। इनमें से अधिकतर लोग विभिन्न कारणों से मतदान के लिए पहुंच नहीं पाते। इसी का फायदा उठाकर फर्जी वोटिंग भी करायी जाती थी। लेकिन अब निर्वाचन आयोग इन लोगों को भी ई वोटिंग का विकल्प दे कर मताधिकार का इस्तेमाल करने का मौका देने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत दूरस्थ मतदान सुविधा के विकल्पों का विस्तार करने की तैयारी चल रही है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने अभी हाल ही में कहा था कि, आयोग आईआईटी, चेन्नई की मदद से मतदान की एक ऐसी पद्धति विकसित कर रहा है, जिससे अन्य राज्यों में रहने वाले मतदाता भी घर बैठे वोट दे सकेंगे। चुनाव आयोग को इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ने के साथ-साथ चुनावी खर्च पर भी लगाम लगने की उम्मीद है।

सबसे पहले गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव में हुआ था ई वोटिंग का प्रयोग

इस पूरी कवायद से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि, ई वोटिंग को सबसे पहले 2010 में एक प्रयोग के तौर पर गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में शुरू किया गया था। उस समय प्रत्येक स्थानीय निकाय के एक-एक वार्ड में मतदाताओं को ई वोटिंग का विकल्प दिया गया था। उसके बाद 2015 के निकाय चुनावों में भी गुजरात राज्य निर्वाचन आयोग ने अहमदाबाद और सूरत समेत छह स्थानीय निकायों में मतदाताओं को यह विकल्प दिया था, लेकिन प्रर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में 95.9 लाख पंजीकृत मतदाताओं में से मात्र 809 ने ही इसका इस्तेमाल किया। इसके तहत मतदाताओं को निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर आनलाइन आवेदन कर ई वोटर के रूप में अपना पंजीकरण कराना होता था। आवेदन में दिये गये तथ्यों की पुष्टि के बाद चुनाव आयोग ई वोटरों को एसएमएस और ईमेल के जरिये एक पासवर्ड भेजता था और मतदान वाले दिन एक निश्चित अवधि में मतदाता उसी पासवर्ड की मदद से ई बैलेट पेपर भर कर घर बैठे मतदान करते थे।

झारखंड और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में भी बुजुर्गों, दिव्यांगों और आपात सेवाओं से जुड़े लोगों को दी गयी थी यह सुविधा

अभी हाल ही में झारखंड और दिल्ली विधानसभा के चुनावों में भी अस्सी वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों, दिव्यांगों और बिजली, पानी, चिकित्सा एवं अन्य आपात सेवाओं से जुड़े लोगों को भी घर बैठे मतदान करने की सुविधा प्रदान की गयी थी। श्री अरोड़ा ने कहा है कि, जल्दी ही पूरे देश में इस श्रेणी के मतदाताओं को यह सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी।

वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने के लिए जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की तैयारी

पूरे देश में ई वोटिंग की सुविधा देने के उद्देश्य से पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओ.पी. रावत ने अपने कार्यकाल में सीडेक की मदद से ई वोटिंग साफ्टवेयर विकसित करने की परियोजना को आगे बढ़ाया था। इसके तहत मतदाता सूची को आधार से लिंक करने की कवायद शुरू कर 31 करोड़ मतदाताओं को जोड़ भी दिया गया था। लेकिन तभी उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप से मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन अब शीर्ष अदालत ने पूर्व निर्धारित दिशा-निर्देशों के तहत वोटर लिस्ट को आधार से जोड़ने को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद बाकी बचे लगभग 61 करोड़ मतदाताओं को भी आधार से जोड़ने पर जल्दी ही काम शुरू होने की उम्मीद है। लेकिन मतदान प्रक्रिया में इस तरह के व्यापक बदलाव के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की भी जरूरत है। आगामी 18 फरवरी को निर्वाचन आयोग और विधि मंत्रालय के आला अधिकारियों की प्रस्तावित बैठक में इस मुद्दे पर गहन विचार विमर्श किये जाने की उम्मीद है।

25-30 प्रतिशत मतदान बढ़ा, तो देश का राजनीतिक परिदृश्य बदलना तय

विशेषज्ञों का मानना है कि, इससे मतदान का प्रतिशत बढ़ने के साथ ही फर्जी मतदान और मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायतों को भी दूर किया जा सकेगा। लेकिन इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि, इससे वह तबका भी मतदान से जुड़ जाएगा, जो तार्किक और विचारशील होने के बावजूद किसी न किसी वजह से वोट डालने बूथ तक नहीं जा पाता। भारत जैसे देश में, जहां मतदान में तीन-चार प्रतिशत का फर्क ही सरकारें बना या गिरा देता है, लगभग 25-30 फ़ीसदी का यह अंतर पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदलने में सक्षम हो सकता है। कुछ भी हो, यदि यह सारा काम सही तरीके से हो गया तो यह भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी सेवा होगी।

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