कोरोना से उपजे आर्थिक संकट से निकलने के लिए महाराष्ट्र के पूर्व सीएम पृथ्वीराज चौहान के उस सुझाव को भाजपा ने निशाने पर ले लिया और फिर बयानबाजी का दौर भी चालू हो गया। चौहान ने कहा था कि हमारे यहां मंदिरों में इतना सोना है कि सरकार चाहे तो उसे कुछ ब्याज देकर वर्तमान हालात में इस्तेमाल के लिए ले सकती है। इस पर भाजपा ने उनकी नीयत पर सवाल उठाते हुए सोनिया पर टिप्पणी कर दी।

अब चौहान ने सफाई दी है कि उन्होंने कुछ नया नहीं कहा है, पूर्व पीएम अटल जी ने भी पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद लगे प्रतिबंध से निकलने के लिए मंदिरों के सोने के इस्तेमाल की बात कही थी।

पृथ्वीराज

इस पर भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि मंदिर वाले तो सब कर ही रहे हैं। वे सोनियाजी से कहें कि गरीबों की मदद के लिए अन्य धार्मिक स्थलों के भी ताले खुलवाएं। उनके अकाउंट को चेक करवाएं। विजयवर्गीय ने कहा कि अन्य धर्म के भी धार्मिक स्थल हैं, उनके भी अकाउंट हैं। इनके बारे में कभी कुछ क्यों नहीं बोलते, हमेशा मंदिर के बारे में बोलते हैं। मंदिर वाले तो सब कर ही रहे हैं। यहां इंदौर में जो टेंट लगे हैं ये हनुमान मंदिर के ही हैं। शिर्डी के सांई बाबा, तिरुपति बाला जी की ओर से मदद आ गई। मंदिर तो सब कर ही रहे हैं। वे कम से कम इस समय वे वोट की राजनीति न करें।

वर्गीय भी ठीक कहते हैं। वैसे होना तो यही चाहिए कि सभी धर्मों के ट्रस्ट में धन कम नहीं है और उस धन का इस्तेमाल इस संकटकाल में होना चाहिए। सनातन हिंदु मंदिरों केअलावा सिखों, मुस्लिम, चर्च या दूसरे संप्रदाय चाहें तो बड़ी मदद कर सकते हैं। सरकार के पास अल्प ब्याज पर सोने या अन्य चीजों को रख सकते हैं। इससे बात भी बन जाएगी और कोई परेशानी भी नहीं होगी। बीजेपी के प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी का कहना है कि सच तो ये है कि दूसरों को भी सामने आना चाहिए। वैसे इस पर फैसला स्वयं ट्रस्ट से जुड़े लोगों को लेना चाहिए।

विजय वर्गीय

उधर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सफाई देते हुए कहा कि कोविड-19 के कारण संकट के बीच संसाधनों को बढ़ाने के लिए सभी धार्मिक ट्रस्टों से सोने के मुद्रीकरण के उनके सुझाव को जानबूझकर गलत तरीके से पेश किया गया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पुनरुद्धार पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन सवाल पूछा गया है कि सरकार इन संसाधनों को कैसे बढ़ाएगी।
मैंने सुझाव दिया था कि सरकार विभिन्न व्यक्तियों और धार्मिक ट्रस्ट से उनके पास पड़े बेकार सोने को जमा करने के लिए कह सकती है। मेरे बयान को असामाजिक तत्वों ने इसे संदर्भ से बाहर कर दिया और यह प्रोजेक्ट करने की कोशिश की कि मैंने एक विशेष धर्म को टारगेट किया है। मैं उचित कानूनी प्राधिकारियों के साथ काम करता रहा हूं। मेरा सुझाव कोई नई बात नहीं थी। चव्हाण ने आगे कहा कि जब भी राष्ट्रीय आर्थिक संकट होता है, तो हमारे पीएम ने सोना इकट्ठा करने का सहारा लिया। पोखरण परीक्षण के बाद भारत पर जब प्रतिबंध लगे तो तत्कालीन पीएम अटलजी ने ऐसा करने की बात कही थी। हालांकि उसकी जरुरत शायद नहीं पड़ी।

क्या सलाह दी थी चौहान ने

चौहान ने ट्वीट कर सरकार को यह सलाह दी थी कि सरकार देश के सभी मंदिर ट्रस्ट में पड़ा हुआ सोना कर्ज के रूप में ले। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार, देश के मंदिरों में एक ट्रिलियन डॉलर (76 लाख करोड़ रुपए) का सोना है। सरकार को यह सोना एक या दो प्रतिशत ब्याज पर अपने कब्जे में लेना चाहिए।

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