विशेष संवाददाता’

चाहे गांव हो या शहर ,देश हो या दुनिया किसी भी कोने में किसी भी रूप में हम अगर पहचान सकते हैं तो बिल्कुल प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती कहते हैं । जोहरी को हीरे की परख करनी आनी चाहिए बस।

ऐसे ही एक राकेश झा जिला सीतामढ़ी गांव हरदिया, बिहार निर्विवाद रूप से बहुमुखी प्रतिभा के धनी रहे हैं। समर्पित भाव से अपने परिवार के प्रति उन्मुख विकास करते रहे हैं लेकिन जब वह संकट काल में गिरे तो शायद उनके लिए कोई हाथ बढ़ाने वाला नहीं था।बाप बूढ़े हो चुके है पत्नी एक बेटे को छोड़कर भगवान कें यहां चल बसी । इस संकट कॉल में भी वो कमजोर नहीं हुए । जिसमें उनके अपने कुछ पुराने साथी जो उनके साथ साथ चलने के लिए तैयार थे और साथ देते रहे जिसके सहारे वो रूबरू होते हुए संकट से आगे बढ़ते रहें और अब सफलता के मुहाने पर खड़े हैं राकेश जा प्रोफेशन से अकाउंटेंट है। अच्छी-अच्छी कंपनियों में काम कर चुके हैं और आज परिस्थितियों बस नौकरी न पाने की वजह से नई सीख बांसुरी वादन को अपना पेशा बनाने के लिए कोशिश कर रहे हैं । इनको किसी काम से परहेज तो नहीं लेकिन यह अपनी प्रतिभा को छुपाना भी नहीं चाहते। बिहार में तो बहुत ही प्रतिभाशाली लोग हुए हैं लेकिन इनकी बांसुरी वादन अति मनभावन और कर्ण प्रिय है। राकेश झा बहुत ही मेहनती और परिपक्व लगन शील व्यक्ति हैं पारिवारिक स्थितियों के बजाय अपने आप को दबाए नहीं और अपने संपूर्ण भाव से अपने परिवार के साथ बांसुरी वादन का कार्य करते हैं ।

राकेश झा आजकल दिल्ली में निवास कर रहे हैं इनसे आगे आने वाली पीढ़ी के नौजवानों से को कुछ सीखना चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में अपने दोस्तों और परिवार को कभी छोड़ना नहीं चाहिए,उनको साथ लेकर चलना चाहिए । सभी संकट को धैर्य पूर्ण संभालना चाहिए और अपने विकास में आने वाली सभी बाधाओं को रोकना चाहिए। कहते हैं कि इस दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति सहनशीलता है और यह राकेश झा में कूट-कूट कर भरी हुई है । आपके जानकारी के लिए साथ में इनका वीडियो हम दे रहे हैं। आप इनसे संपर्क कर सकते हैं

संपर्क सूत्र
Rakesh_004@redifmail.con

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