पदम पति शर्मा
संपादक
मासूम किशोर भाई बहन को कार मे लिफ्ट देकर बच्ची के साथ पहले बलात्कार और फिर हत्या कर देने वाले दो दरिंदे रंगा- बिल्ला को अस्सी के दशक में हूई फांसी पर देश में जैसे खुशी को लहर दौडी थी, निर्भया के साथ पैशाचिक यानी अमानवीय तरीके से गैंगरेप करने वाले चार वहशी दोषियों को 22 जनवरी को फांसी देने की तारीख तय होने के पश्चात भी वैसा ही देश मे जश्न सरीखा माहौल नजर आ रहा है। हर वर्ग के लोग इनके डेथ वारंट जारी होने बाद राहत की सांस ले रहे हैं ।
ठीक है कि 16 दिसम्बर 2012 को हुए लोमहर्षक बलात्कार कांड को, जिसके चलते निर्भया की 13 दिन बाद मौत हो गयी थी, अंजाम तक पहुचने मे सात साल से ज्यादा का समय लगा। यह विलम्ब हमारी न्यायिक व्यवस्था पर तमाचा जैसा है। जुडिशियल पुनर्सुधार समय की मांग है । त्वरित न्याय अपराध रोकने में कितने सफल हो सकते हैं, यह बताने की जरूरत नही और इसकी भी जरूरत नहीं कि तब कुकर्मी अपराध करने के बाद अपने किये का अंजाम सात-आठ वर्षो बाद नहीं भुगतेगे। जैसा कि निर्भया मामले में हम देख रहे हैं ।
खैर; अब आते हैं मौत की तारीख मुकर्रर होने बाद अपराधी की मनःस्थिति की ओर। निर्भया की मां आशा देवी बता रही थीं कि दोषियों के हाव भाव पर डेथ वारंट निकल जाने के बाद भी कोई फर्क नहीं पडा था। उनके चेहरों पर पश्चाताप के कोई लक्षण नहीं नजर आ रहे थे। अपनी बेटी के हत्यारों को फांसी तक पहुंचाने के लिए अथक मेहनत करने वाली यह मा शायद सही कह रही होगी। लेकिन दरिन्दों का हंसना नकली था, एक सच यह भी है। उनके अंदर क्या चल रहा था, इसका जायजा काल कोठरी मे जाने के बाद उनकी मनोदशा से लग गया कि वे हर पल मौत की आहट सुन कर बैचैन हैं इस समय।
तिहाड़ जेल में उनकी रात करवट बदलते बीत रही है। फांसी के खौफ का आलम यह था कि दोषियों ने मंगलवार को रात का खाना भी नहीं खाया था।
निर्भया कांड के चारों गुनाहगार में से तीन दोषी अक्षय, पवन तथा मुकेश जेल नंबर दो में बंद है जबकि विनय शर्मा को जेल नंबर तीन में बंद रखा गया है। चारों को अलग-अलग सेल में रखा गया है। तिहाड़ जेल सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को जब अदालत ने चारों का डेथ वारंट जारी किया तो उसके बाद से पवन और अक्षय ने खाना नहीं खाया था। हालांकि बुधवार सुबह चारों ने नाश्ता और शाम का खाना खाया।
: जेल सूत्रों का कहना है कि बुधवार सुबह करीब दस बजे चारों दोषियों को जेल के अस्पताल में ले जाया गया और उनकी डॉक्टरी जांच कराई गई। उसके बाद उन्हें वापस सेल में बंद कर दिया गया। इस दौरान चारों दोषी तनाव में थे। दोषी खौफजदा थे और जांच के दौरान डॉक्टरों से भी ठीक से बात नहीं की।
हालांकि विनय ने फांसी से बचने लिए बतौर अंतिम विकल्प क्यूरेटिव याचिका दायर कर दी है कोर्ट में। हो सकता है कि इस कानूनी प्रक्रिया के चलते गले में फंदा पडना टल जाय मगर यह तय है कि विनय सहित चारो दोषियों को एक दिन सुबह काले वस्त्र मे दो घंटे तक झंलते रहना ही है। अब कोई बचाव का रास्ता बचा नहीं है।
चारों दोषियों की डॉक्टरी जांच फांसी दिए जाने तक प्रतिदिन कराई जाएगी और यह उनको याद भी दिलाती रहेगी कि ऐसा फांसी पर चढने वाले के साथ किया जाता है।। जेल अधिकारियों का कहना है कि वजन, हृदय गति सहित अन्य की जांच फांसी दिए जाने तक होती रहेगी।
ज्यो ज्यों दिन गुजरेंगे त्यों त्यों उनकी नींद भी उडती चली जाएगी। इन चारों को हर पल फांसी का फंदा और जल्लाद का काल्पनिक चेहरा नजर आता रहेगा, जो उनको हर पल करीब आती मौत का अहसास कराता रहेगा। फांसी लगने वाली सुबह तक तो ये चारों आधे मर ही चुके होंगे।