अक्षय की क्यूरेटिव याचिका भी हो गई खारिज
हरीश शर्मा
जी हां, दावे के साथ कहा जा सकता है कि निर्भया मामले में हर एंगिल से दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुना दिये जाने और दो-दो बार यानी 22 जनवरी और 1फरवरी के दिन मुकर्रर होने के बाद भी भारतीय कानून की पेंचीदगी के मझे हुए खिलाड़ी फांसी की तारीख टलवाने में कामयाब होते जा रहे हैं। इतना तो ये काले कोर्टधारी भी जानते हैं कि फांसी तो तय है लेकिन उसे आगे बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में ये तत्पर हैं। वैसे भी लगता यही है कि भले ही न्यायालय ने दो-दो बार डेथ वारंट जारी किया हो लेकिन यमराज के यहां से यमदूतों को अभी परमाना नहीं मिला है। कहा भी गया है कि जब ईश्वर प्रदत्त सासें पूरी हो जाएंगी तो कोई मौत को टाल नहीं पायेगा। यानी अभी इन चारों दोषियों की सांसें पूरी होने में विलंब है।
इधर जैसी की उम्मीद थी आज के घटनाक्रम में निर्भया कांड के दोषी अक्षय की क्यूरेटिव पिटीशन सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। पांच जजों की पीठ ने चैंबर में सुनवाई कर क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले मुकेश और विनय की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज कर चुका है। अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद अब केवल एक दोषी पवन के पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का विकल्प रह गया है।
इस बीच दोषियों के वकील एपी सिंह ने 1 फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग के लिए दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा गुरुवार को फिर खटखटाया है। वकील एपी सिंह ने दलील में दावा किया कि नियमों के अनुसार, एक ही अपराध में शामिल सभी लोगों को तब फांसी नहीं दी जा सकती, जब तक सभी दोषी अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर ले।
खैर देखा जाय कि इन चारों के पास मौत की सजा क्रियान्वयन की तारीख टलवाने के और कितने विकल्प शेष बचे हैं।
मुकेश सिंह: अब कोई विकल्प नहीं
पवन गुप्ता: सुधारात्मक और दया याचिका दोनों विकल्प बाकी
अक्षय ठाकुर: दया याचिका अभी बाकी
विनय शर्मा: दया याचिका अभी बाकी
उधर निर्भया की मां का कहना है कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करती हूं और चाहती हूं कि सभी दोषी जल्द से जल्द फांसी पर लटके। मैं पिछले सात सालों से कानून पर भरोसा बनाए रखी हूं और अब भी कायम है। हम एक कदम और आगे बढ़ गए। फैसले के करीब बढ़ गए। उम्मीद है कि इनको अब जल्द ही फांसी लग जाएगी। वे लोग तब तक कानूनी खेल खेलेंगे, जब तक फांसी नहीं हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि मुझे जल्द से जल्द न्याय मिले।
हालांकि, नई याचिकाएं देने से 1 फरवरी की तारीख में फांसी पर संशय बढ़ गया है। नियमों के मुताबिक, एक ही मामले में चारों दोषियों को एकसाथ ही फांसी दी जा सकती है। ऐसे में अगर किसी दोषी से संबंधित कोई भी याचिका अगर लंबित है तो फांसी की तारीख टल सकती है और अब तो यह स्पष्ट हो गया है कि फांसी की तारीख टलेगी ही।