विशेष संवाददाता

नयी दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड के मुजरिमों को फांसी से बचाने के लिए उनके वकील हर तरह के कानूनी हथकंडों का इस्तेमाल करते जा रहे हैं। आज शीर्ष अदालत में कहा गया कि, दोषी विनय की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, अत: उसे माफी दी जानी चाहिए। बहरहाल अदालत ने राष्ट्रपति के यहां दया याचिका खारिज होने के मामले में विनय शर्मा की याचिका पर फैसला शुक्रवार को दोपहर दो बजे तक के लिए सुरक्षित रख लिया।

अब मानसिक स्थिति ठीक न होने की दलील

निर्भया कांड के दोषी विनय के वकील ए.पी. सिंह ने अदालत से कहा कि, जेल प्रशासन ने उनके मुवक्किल को कई बार मानसिक अस्पताल भेजा। उसे कई दवाएं भी दी गयीं, जिससे साफ जाहिर है कि, उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह सदमे की हालत में है। अत: उसे फांसी देने से अनुच्छेद 21 के तहत उसके जीवन के अधिकार का उल्लंघन होगा। उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा दया खारिज किये जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि, अधिकृत दस्तावेज पर उपराज्यपाल और गृहमंत्री के दस्तखत नहीं हैं। मैंने आरटीआई के जरिये दस्तावेज मांगे हैं।

इस पर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को दस्तावेज दिये और कहा कि, सभी दस्तावेजों पर एलजी और गृहमंत्री के हस्ताक्षर हैं। न्यायमूर्ति भानुमती ने कहा कि, ये दस्तावेज आपके लिए नहीं हैं, बल्कि अदालत के संज्ञान के लिए हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने शुक्रवार को दोपहर दो बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया।

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