हरीश शर्मा
पूरा देश स्तब्ध है कि निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा एक बार फिर टल गई है और नई तारीख तक के लिए नहीं बल्कि अगले आदेश तक के लिए इसबार टली है। इस पर निर्भया की मां ने कहा है कि दोषियों के वकीलों ने एकबार उन्हें चुनौती देते हुए कहा था कि वे फांसी अनंत काल तक टलवाने की क्षमता रखते हैं, और वकील कामयाब हो रहे हैं।
दरअसल ये वकील साहब लोग ऐसे ही कामयाब नहीं हो रहे हैं, इन्होंने 2014 में शत्रुघ्न चौहान केस में सुप्रीम कोर्ट के ही एक दिशा निर्देश को हथकंडे के रूप में अपना रखा है। पूरे देश को समरण है कि जब निर्भया कांड के बाद पूरे देश में उबाल था तो वकीलों की जमात ने भी शोक और क्षोभ प्रकट करते हुए घोषणा की थी कि कोई भी वकील दोषियों को कानूनी लड़ाई में सहयोग नहीं करेगा। अब माजरा देखिये की किस हद तक मदद की जा रही है। ठीक है, पेशागत कारणों से दोषियों के वकील बने, लेकिन नैतिकता कहां गई? रोज नये-नये पेंच फंसाकर फांसी टलवाये जा रहे हैं। चलिये माना कि आप 2014 के सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश का फायदा इन गुनहगारों के लिये उठा रहे हैं। तो कानून के विद्वान रक्षकों, ये भी तो सोचो कि समाज में क्या संदेश जा रहा है। यह भी तो सोचो कि क्या आप इस प्रकार अन्य अपराधियों को ढाढस भी तो दे रहे हैं और हौसला अफजाई कर रहे हैं कि चलो हत्या-रेप-बर्बरता आदि के बाद भी वकील साहब तो हैं ही, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के निर्णय के बाद भी आपके काले कोर्ट में बहुत जान है।
वैसे केंद्र सरकार के आग्रह पर अपने 2014 में निर्गत दिशा निर्देश के साथ ही अन्य पर पुनर्विचार पर सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है। लेकिन जबतक नये दिशा निर्देश जारी नहीं हो जाते तबतक तो दोषियों और ऐसे ही जघन्य अपराधों में शामिल अपराधी अपना हौसला बढ़ाते ही रहेंगे।
बताते चलें कि फांसी की सजा टलने के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने दोषियों को फांसी नहीं दिए जाने पर अरविंद केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया इसके बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि हमें हमारे कानून में संशोधन करने की सख्त जरूरत है, ताकि रेप के मामलों में फांसी 6 महीने के अंदर हो।
बता दें कि इसके पहले शुक्रवार को दिल्ली की अदालत ने निर्भया के दोषियों की फांसी अगल आदेश तक टाल दी है। यह पहला मौका नहीं है जब निर्भया गैंगरेप के दोषियों की फांसी टाल दी गई हो। इससे पहले 22 जनवरी को दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को फांसी मुकर्रर करते हुए डेथ वारंट जारी किया था, लेकिन राष्ट्रपति के पास एक दया याचिका लंबित होने के चलते फांसी टल गई थी। इसके बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने दूसरी बार एक फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी का समय तय किया था, लेकिन शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने एक बार फिर फांसी की सजा टाल दी गई है।