वाकिफ कहां जमाना हमारी उड़ान से, वो और थे जो हार गए आसमान से। संघर्ष पथ पर जब लोग अक्सर हार मान जाते हैं तब इसी मंत्र के साथ मेरठ के दिव्यांगजन आत्मनिर्भर भारत की नई पटकथा लिख रहे हैं। यह कहानी ऐसे युवाओं की है जो किसी न किसी शारीरिक अक्षमता से जूझ रहे हैं लेकिन हौसलों के दम पर अपने पैरों पर खड़े हैं। मेरठ-बागपत मार्ग पर गुर्जर चौक बाईपास के नजदीक खुला एक अनूठा रेस्टोरेंट इसकी मिसाल है। यहां शेफ से लेकर डिलीवरी ब्वॉय तक सभी दिव्यांग हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान से मेरठ के कुछ दिव्यांग साथी इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना ढाबा खोलकर अलग ही पहचान बना ली। इस नववर्ष पर अमित कुमार शर्मा, रेनू, अनुज शर्मा, जितेंद्र नागर ने बागपत बाईपास स्थित सुभारती के पास गुर्जर चौक पर एक अनूठा रेस्टोरेंट खोला। अनूठा इसलिए कि रोटी सेंकने वाली महिला से लेकर डिलीवरी ब्यॉय तक सभी दिव्यांग हैं। होम डिलीवरी ब्यॉय भी शारीरिक रूप से अक्षम है और वह घर-घर लोगों को भोजन उपलब्ध कराता है। रेस्टॉरेंट का नाम पंडितजी किचन एंड डिलीवरी प्वाइंट है।
पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर बने प्रेरणास्रोत
दिव्यांग अमित शर्मा बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान से प्रेरित होकर उन्होंने कुछ ऐसा कर गुजरने की ठानी, जिससे दूसरे भी प्रेरित हों। सचिन तेंदुलकर को अपना प्रेरणास्रोत मानने वाले अमित के मुताबिक, सचिन की कभी हार न मानने वाली छवि ने उनका हौसला हमेशा मजबूत बनाए रखा। आखिरकार, जिंदगी की इस जंग में जीत हासिल करने के लिए ढाबे के रूप में यह शानदार शुरुआत की।
सचिन को बनाना चाहते हैं मेहमान
रेस्टोरेंट में काम करने वाले दिव्यांगों की चाहत सचिन तेंदुलकर को अपने रेस्टोरेंट में बतौर मेहमान बुलाने की है। कहते हैं कि जैसे भगवान राम शबरी के आश्रम पहुंचे थे, वैसे ही कभी सचिन तेंदुलकर उनके ढाबे पर आ जाएं तो समझिए मनोकामना पूरी हो जाएगी। अमित शर्मा बताते हैं कि इस पहल का उद्देश्य दिव्यांग समुदाय को सशक्त बनाकर उन्हें जीविकोपार्जन का अवसर देना है।