नगर प्रतिनिधि
कोरोना को लेकर शासन ने अपनी नीतियों में कुछ अहम बदलाव किए हैं। जिसके अंतर्गत अब कोरोना पॉजिटिव मरीज़ मिलने पर किसी भी अस्पताल को सील नहीं किया जाएगा।
इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव ने सभी जिलों के डीएम और मुख्य चिकित्साधिकारी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र के अनुसार अस्पताल की जगह उस वार्ड को 24 घंटे के लिए सील किया जाएगा, जिसमे पॉजिटिव मिलने वाले मरीज़ का इलाज किया गया हो।
किसी प्राईवेट या सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने वाले व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव पाए जाने पर अब उस अस्पताल को सील नहीं किया जाएगा। अब सिर्फ उस वार्ड को बंद करने के साथ ही साथ पॉजिटिव मरीज़ के पास भरती मरीजों को हाई और लो रिस्क में रखा जाएगा। इसके साथ ही पॉजिटिव व्यक्ति का इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मी को भी दो कैटेगरी में बांटा गया है।
वाराणसी में अभी तक 90 कोरोना पॉजीटिव केस मिले हैं। यहाँ ऐसे केस भी आये हैं जो किसी अस्पताल में भर्ती थे और वहां इलाज करवा रहे थें। ऐसे में सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप उन अस्पतालों को सील कर दिया गया था। बनारस में भी पांच अस्पताल सील किये गये थें। इससे वहां भरती मरीजों और उनके तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
कल जारी हुए शासन के पत्र के अनुसार अब उस अस्पताल में भरती सभी मरीजों और स्वास्थ्यकर्मियों को संदिग्ध नहीं माना जाएगा। इसके अलावा हाई रिस्क व लो रिस्क की कैटेगरी बनायी जाएगी, जिसमें कोरोना पॉजिटिव मिले मरीज़ के आगे पीछे और दाएं बाएं वाले मरीज़ को हाई रिस्क में रखा जाएगा। इसके अतिरिक्त वार्ड में भर्ती मरीजों को लो रिस्क की श्रेणी में रखा जाएगा।
हाई रिस्क वाले मरीजों को पहले क्वारंटीन किया जाएगा। इसके छठे दिन बाद उनका सैम्पल लिया जाएगा। 14 दिन तक यदि लक्षण नहीं मिलता तो सैम्पल लेने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। इसके अलावा जिस वार्ड में पाज़ीटिव मरीज़ मिलेगा उसे 24 घंटे के लिए बंद कर हर 12 घंटे पर एक फीसदी हाइपोक्लोराइड से सेनीटाइज़ किया जाएगा और फिर उसे खोल दिया जाएगा।