वाराणसी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी की अदालत ने वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से पुरातात्त्विक सर्वेक्षण कराने की अपील पर पक्षकारों की आंशिक बहस सुनने के पश्चात् अग्रिम सुनवाई के लिए दो अप्रैल की तिथि मुकर्रर कर दी। सुनवाई के दौरान अंजूमन इंतजामिया मसाजिद और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने इस आशय का प्रार्थना पत्र दिया कि मुकदमा की पोषणीयता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में पक्षकारों की बहस पूरी हो चुकी है।
हाईकोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया है। अपील की गई कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाए। अदालत ने पुरातात्त्विक सर्वेक्षण की अपील पर दोनों पक्षों की आंशिक बहस सुनने के बाद इसे जारी रखते हुए दो अप्रैल की तिथि मुकर्रर कर दी। उधर जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी की अदालत ने भी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए 12 अप्रैल 2021 की नियत कर दी।
वाराणसी सिविल जज की अदालत में सुनवाई
ज्ञानवापी मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से विवादित परिसर का भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने के लंबित प्रार्थना पत्र पर गुरुवार दोपहर 12 बजे के करीब सुनवाई शुरू हुई। न्यायिक अधिकारी के त्रैमासिक मुआयने में व्यस्तता के कारण 22 मार्च को सुनवाई नहीं हो सकी थी। इसके बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने सुनवाई के लिए 25 मार्च की तिथि मुकर्रर कर दी थी। उधर ज्ञानवापी मामले में जिला जज ओमप्रकाश त्रिपाठी की अदालत में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजूमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से दाखिल निगरानी याचिका पर सुनवाई लंबित है। जिला जज की अदालत में दोपहर बाद उक्त याचिका पर सुनवाई की गई और नई तिथि तय की गई।
क्या है ये पूरा मामला
वर्ष 1991 में ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से पं. सोमनाथ व्यास, हरिहर पांडेय एवं अन्य ने मुकदमा दायर किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योर्तिलिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की ओर से वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी एडवोकेट ने दस दिसंबर 2019 को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से रडार तकनीक से सर्वेक्षण कराने की अपील करते हुए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था। प्रार्थना पत्र पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को भी अपना पक्ष रखना है।