डाक्टर रजनीकांत दत्ता
पूर्व विधायक, शहर दक्षिणी
वाराणसी ( यूपी )

हर प्रकार की जद्दोजहद के बाद चीन यह भलीभांति समझ गया है कि पारंपरिक तौर तरीके से वह अमेरिका और उसके मित्र देशों को न तो आर्थिक और न ही सामरिक मोर्चे पर पराजित कर सकता है।

अतः इन देशों के खिलाफ उसने वैकल्पिक बायोलॉजिकल हथियारों के रूप में इस अघोषित वॉरफैर का विकल्प चुना और अपने प्रतिस्पर्धी देशो को वुहान चाइनीज वायरस से संक्रमित कर महामारी में झुकने के लिए दूरगामी रणनीति बनाई।

संपूर्ण भारतवर्ष को इस महामारी के शिकंजे में जकड़ने के लिए प्रस्तावना के रूप में लिखी गई इबारत की पहली लाइन थी,CAA जो लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर उपरांत कानून बन चुका था।उसके खिलाफ भारत के लगभग 20 करोड़ मुसलमानों को यह दुष्प्रचार करके कि,CAA कानून उनकी भारतीय नागरिकता छीनने का बीजेपी द्वारा घोर हिंदूवादी मानसिकता का षड्यंत्र है, गुमराह ही नहीं किया बल्कि,हर दसवें साल होने वाले एनआरसी अभियान के प्रति दुषप्रचार करके सांप्रदायिकता की आग में घी डालने का काम भी किया।

यहां यह भी बताना उचित होगा कि निहित राजनीतिक स्वार्थों के लिए सोनिया राहुल कांग्रेस,तृणमूल कांग्रेस,ओवैसी की राजनीतिक पार्टी, लालू का जनता दल,केरल की मुस्लिम कांग्रेस लीग तथा पाकिस्तान का हिंदुस्तान में मौजूद स्लीपर सेल, वामपंथी बुद्धिजीवी वर्ग इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया सभी भारत को अशांत करने के लिए और कानून व्यवस्था को खतरे में डालने की मुहिम को हवा देने लगे।

फलस्वरुप जेएनयू,जामिया मिलिया,जादवपुर यूनिवर्सिटी बंगाल और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में उग्रवादी हिंसक गतिविधियाँ आरंभ हो गई। यहां तक तो गनीमत थी लेकिन शाहीन बाग जैसे धरने में CAA के विरोध में विशेष मार्गों को बंद ही नहीं किया बल्कि यातायात को भी ठप किया। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों के पास नमाज़ियों के समूहों को एकत्रित कर धार्मिक राजनीतिक नेताओं के भाषणों से संप्रदायिक दंगों का माहौल पैदा किया जाने लगा। जिसका नतीजा था पूरे देश में कई शहरों में संप्रदायिक हिंसक आंदोलन,आगजनी,बमबारी,पेट्रोल बम-गोलीबारी।

यही नहीं अब करोना महामारी के प्रसारण की बारी थी।उसे संक्रामक महामारी का रूप देने के लिए,निजामुद्दीन की विश्व प्रसिद्ध दरगाह के समीप स्थित तबलीगी मरकज जिसके इस जमात के विश्व में करोड़ो फॉलोअर्स हैं, महीनों पहले से धार्मिक आयोजन के नाम पर लगभग ढाई हजार से भी ज़्यादा करोना कैरियर्स को इस तरह से घुलामिला दिया कि वे एक दूसरे को संक्रमित कर सकें और वहां के मौलाना साहब ने उनका ब्रेनवाश किया कि सरकार जो भी प्रयत्न कर रही है वह इस्लामिक ब्रदर हुड के ऊपर सोचा समझा इस्लामिक एकता को समाप्त करने का आरएसएस का षड्यंत्र है।

नतीजा सामने है कि चाहे महाराष्ट्र हो, तमिलनाडु हो और केरल हो भोपाल,मध्य प्रदेश हो या हिंदुस्तान के अन्य बड़े बड़े शहर हो वहां मरकज के इन्हीं अनुयायियों के चलते करोना कि महामारी फैली है। इन सब घटनाओं का केंद्र दिल्ली ही क्यों बना ? यह इसकी पुष्टि करता है कि चीन की रणनीति में ब्रिटेन के पीएम और जर्मनी के चांसलर की तरह भारतीय टारगेट के रूप में भाई नरेंद्र मोदी,अमित शाह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं दिल्ली का नॉर्थ साउथ ब्लॉक, जहां से पूरी शासन व्यवस्था चलती है। यानी कि यह भारत सरकार को ही अस्थिर करने की साजिश थी। क्रमशः

शेष अगली पोस्ट में

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