नई दिल्ली। हमेशा से विवादों में रही देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर ताजा सवाल मुस्लिम समाज के अंदर से ही उठा है। उस पर अपने मकसद से हटने की बात कही जा रही है।

दरगाह आला हजरत से जुड़े संगठन तंजीम उलेमा ए इस्लाम के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधा है। रिजवी ने कहा कि बोर्ड अपने असल मकसद से हट गया है। बोर्ड का गठन मुसलमानों के शरई मामलों को हल करने के लिए किया गया था लेकिन बोर्ड अब सिर्फ राजनीति कर रहा है।

‘मुसलमानो का बोर्ड पर भरोसा उठ चुका है

मौलाना रिजवी ने कहा कि भारत में सुन्नी सूफी मुसलमान बहुतायत में हैं। लेकिन इस समाज के लोग अब ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर भरोसा नहीं करते हैं और न ही यह बोर्ड उनकी नुमाइंदगी करता है।

मौलाना शहाबुद्दीन रिजवी ने कहा कि शरीयत के मामले में बोर्ड कानूनी मदद के लिए बिल्कुल खामोश रहता है। वहीं जब चुनावी माहौल आता है तो बोर्ड मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने में किसी से पीछे नहीं रहत। बोर्ड भारतीय मुसलमानों को भयभीत करके डराने की कोशिश कर रहा है।

‘देश में हर मुसलमान को धार्मिक आजादी’

मौलाना रिजवी ने कहा कि बोर्ड के पदाधिकारियों को ये ज्ञान होना चाहिए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां पर हर व्यक्ति को धार्मिक आजादी हासिल है। यहां की सरकारें संविधान के दायरे में रहकर काम करती हैं। जहां तक मुसलमानों की बात है तो मुसलमान भी अपने तमाम धार्मिक रीति रिवाज आजादी के साथ कर रहे हैं। देश के किसी भी राज्य में धार्मिक कार्यक्रमों पर कोई पाबंदी नहीं है।

बोर्ड ने हाल में जारी किया था मोदी सरकार के खिलाफ विवादित बयान

बताते चलें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हाल में मोदी सरकार के खिलाफ एक विवादित बयान जारी किया था। बोर्ड ने अपने बयान में कहा था कि देश के मुसलमान अपने धार्मिक रीति रिवाजों के मामले में वर्ष 1857 और 1947 से भी ज्यादा मुश्किल हालात से गुजर रहे हैं। बोर्ड ने महिलाओं से यह भी गुजारिश की थी कि वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार में न आएं।।