नई दिल्ली। मोदी सरकार अब कांग्रेस की पिछली सरकारों की ओर से की जा रही एक बड़ी गलती को सुधारने जा रही है। इतिहास में जिन महानायकों को जानबूझकर छिपा दिया गया था, उन्हें अब पाठ्यक्रम में शामिल कर बच्चों को पढ़ाया जाएगा।

एनसीआरटी की सोशल साइंस की किताब पर शिवसेना सांसद अनिल देसाई ने राज्य सभा में सरकार से सवाल पूछा था।उन्होंने स्कूली किताबों में दर्ज गलत इतिहास को सुधारने पर सरकार की ओर से किए जा रहे प्रयासों के बारे में पूछा था।

इस पर केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने बुधवार को सदन में जवाब देते हुए बताया कि सोशल साइंस की कुछ किताबों में संशोधन करके उन्हें रीप्रिंट करवाने के लिए भेजा गया है। उन्होंने बताया कि 2022-23 के एजुकेशनल कैलेंडर की नई किताबों में संशोधित इतिहास पढ़ाया जाना शुरू हो सकता है।

बताते चलें कि NCERT की इतिहास की किताबों में मुगलों को महान बताने और भारत के ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने पर विवाद रहा है। आलोचकों का कहना है कि इतिहास की किताबों में यह तो बताया गया कि लाल किला, कुतुब मीनार और ताज महल किसने बनवाए, लेकिन यह तथ्य जानबूझकर छिपा लिया गया कि कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुतुब मीनार बनवाने के लिए महरौली में 41 हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़ा था और फिर उन्हीं मंदिरों के मलबे पर मीनार का निर्माण करवाया।

इतिहास की किताबों में मुगलों की कथित बहादुरी तो लिखी गई। लेकिन सोमनाथ मंदिर को बार-बार किसने और कैसे तोड़ा. मथुरा व काशी के मंदिरों का ध्वंस क्यों और किसने करवाया, इसके बारे में कुछ नहीं बताया जाता।

भारतीय नायकों को गायब किया

इतना ही नहीं, किताबों में अकबर को तो महान बताया गया लेकिन अपने राज्य को बचाने के लिए उससे जिंदगी भर लड़ने वाले महाराणा प्रताप के बारे में विस्तार से नहीं बताया गया। मुगलों के अत्याचारों के सामने सीना तानकर खड़े होने वाले गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह और उनके चार साहिबजादों की गाथा को इतिहास की किताबों से सिरे से गायब कर दिया गया।।

ऐसे बहुत सारे सवाल हैं, जो जब तब तत्कालीन कांग्रेस सरकारों पर उठते रहे हैं और वह उनका कोई तार्किक उत्तर नहीं दे पाई है। कई शिक्षाविदों का कहना है कि कांग्रेस की सरकारों ने सनातन संस्कृति और देश के नायकों को इतिहास से गायब करने के लिए इतिहास लेखन का काम वामपंथियों और जेहादी विचारधारा वाले लोगों को दिया, जिन्होंने अपने कुतर्कों और छदम उदाहरणों के जरिए इतिहास की किताबों को एक खास में रंग दिया।