विशेष संवाददाता

दिल्ली विधानसभा चुनाव बीत जाने के बाद अब मोदी मंत्रिमंडल के पहले विस्तार की हलचल शुरू हो गई है। बुधवार को आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की पीएम नरेंद्र मोदी से डेढ़ घंटे की मुलाकात को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी क्रम में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी मन टटोला गया है। माना जा रहा है कि बजट सत्र के दूसरे चरण से पहले प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का पहला विस्तार कर सकते हैं।

विस्तार पर मंथन बजट सत्र से पहले से चल रहा है। दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद गैरकांग्रेस विपक्षी दलों की एकजुटता बढ़ने की संभावना के मद्देनजर हलचल तेज हुई है। सरकार सहयोगियों से तालमेल बैठाने के अलावा राजग के इतर दलों को साधना चाहती है। भाजपा वाईएसआर कांग्रेस को कैबिनेट में शामिल करना चाहती है।

अगर पार्टी राजी नहीं हुई तो उसे लोकसभा डिप्टी स्पीकर का पद दिया जा सकता है। अगर जगन मंत्री पद के लिए मान गए तो डिप्टी स्पीकर पद नवीन पटनायक के बीजद को मिल सकता है। इससे भाजपा बीजद को गैरकांग्रेस विपक्षी मोर्चे में शामिल होने से रोकने के साथ राज्यसभा में अपनी ताकत बढ़ा सकती है। जगनमोहन ने भाजपा के सामने राज्य विधानपरिषद भंग करने की सिफारिश मानने की बात रखी है।

सहयोगियों को साधना जरूरी सरकार गठन के समय मतभेद के कारण जदयू को कैबिनेट में जगह नहीं मिली। अपना दल भी मंत्रिमंडल में नहीं है। इस बीच, सहयोगियों ने राजग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। रामविलास पासवान अपनी जगह बेटे चिराग को मंत्री बनाना चाहते हैं। बिहार में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जदयू को सरकार में शामिल करने के साथ ही लोजपा को साधे रखने की जरूरत है। सहयोगियों से बेहतर संबंध का संदेश देने और यूपी में अभी से तैयारी में जुटने की रणनीति के तहत अपना दल को भी साधना जरूरी समझा जा है। शिवसेना के राजग से अलग हो जाने के बाद अब जदयू को ज्यादा भागीदारी देने में समस्या नहीं नज़र आती। चर्चा तो यह भी है कि चिराग मंत्री बने तो राजग संयोजक पद पासवान को दिया जा सकता है।

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