बीजिंग ( एजेंसियां)। धोखेबाजी और मक्कारी को लेकर भारत के सख्त रुख को भांपते हुए चीन की अक्ल ठिकाने लगती नजर आ रही है। दूसरे मुल्कों की जमीन हड़पने की कोशिशें करने वाला विस्तारवादी चीन अब शांति का राग अलापने लगा है। चीन ने कहा है कि दोनों देशों को सीमा क्षेत्रों में मिलकर शांति और सुरक्षा की रक्षा करनी चाहिए। इसके अलावा दोनों देशों को संयुक्त रूप से द्विपक्षीय रिश्तों के स्थिर और मजबूत विकास को बनाए रखना चाहिए।
भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्ते बढाने की योजना
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बीजिंग की योजना अमेरिका, रूस, यूरोपीय यूनियन (ईयू), जापान और भारत के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ाने की है। उन्होंने कहा, ‘हम पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों में सुधार करना जारी रखेंगे।’ उन्होंने कहा कि चीन अपने पड़ोसी देशों और अन्य विकासशील देशों के साथ सामरिक आपसी विश्वास को गहरा करने और साझे हितों को विस्तार देना जारी रखेगा।
पहले फैलने दिया संक्रमण अब मदद की बात
झाओ का यह बयान पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में आया है। प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने अन्य प्रमुख देशों के साथ हमारे रिश्तों को सक्रियता से योजनाबद्ध और विकसित किया है, अमेरिका द्वारा चीन पर बनाए गए अनुचित दबाव का जबाव दिया है, चीन-रूस संबंधों को आगे बढ़ाने व चीन-ईयू के सतत सहयोग में नई प्रगति की है।’ उन्होंने कहा कि दवाओं और वैक्सीन के अनुसंधान व विकास में चीन अन्य देशों का सहयोग करेगा।
एक तरफ शान्ति का राग और लद्दाख में अड़ियल रुख बरकरार
वैसे मौजूदा वक्त में चीन दुनिया के सामने शांति का राग जरूर अलाप रहा है लेकिन पूर्वी लद्दाख में उसका अड़ियल रुख अभी भी बरकरार है। चीनी सेना अपने इलाके में लौटने में आनाकानी कर रही है। इससे साफ है कि भारतीय दबाव के चलते दुनिया के सामने भले ही चीन शांति की बात कर रहा हो लेकिन उसके इरादे शंका पैदा करने वाले हैं। बीते दिनों भी चीनी विदेश मंत्रालय ने ऐसा ही शिगूफा छोड़ा था जिसे भारत ने बेनकाब कर दिया था।
भारत ने चीन का नकाब नोच फेंका था
पिछले महीने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि सीमा विवाद सुलझाने पर तीन चरणों और दूसरी व्यवस्थाओं के तहत बैठकें हुईं जिसके बाद ज्यादातर स्थानों से दोनों पक्षों की सेनाएं फ्रंट लाइन से वापस हो चुकी हैं। चीन का कहना था कि सीमा पर हालात तेजी से सामान्य हो रहे हैं। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर कुछ प्रगति जरूर हुई है लेकिन यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई है।
झांसे में नहीं आएगा भारत
भारत बार बार स्पष्ट कर चुका है कि पूर्वी लद्दाख में बिना पूर्व की स्थिति बहाल किए बगैर वह चीन के किसी भी झांसे में नहीं आने वाला है। अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि सीमा पर अमन और शांति ही द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत बनाने की सबसे अहम शर्त है। भारत उम्मीद करता है कि चीनी पक्ष इस पर गंभीरता से काम करेगा और पूर्व में विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के मुताबिक पूरी तरह से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करेगा।