लक्ष्मी कान्त द्विवेदी

चौदह साल पहले उम्र में 30 साल छोटी अपनी छात्रा जूली के साथ खुलेआम प्यार की पींगें बढ़ा कर लव गुरु के खिताब के साथ सुर्खियों में आये प्रोफेसर मटुक नाथ मोहब्बत के पहले ही इम्तिहान में फेल हो गये हैं।

त्रिनिदाद में बीमार पड़ी जूली से पल्ला झाड़ा, कहा- मैं कुर्बानी नहीं, प्यार की बात करता हूं

जूली की सहेली और भोजपुरी गायिका देवी ने बताया कि, जूली इस समय कैरिबियाई देश त्रिनिदाद में है और काफी बीमार है। जूली ने उसे फोन कर अपनी हालत बयां करते हुए भारत ला कर इलाज कराने की गुहार लगायी है। देवी ने सबसे पहले इस संबंध में प्रोफेसर मटुक नाथ से बात की, लेकिन उन्होंने पीछा छुड़ाने के अंदाज में पहले तो पैसे न होने की बात कही। बाद में जोर देने पर साफ कह दिया कि, ‘मैं कुर्बानी नहीं देता। कभी त्याग की बात नहीं करता। मैं तो सिर्फ प्यार की बात करता हूं।’ निराश होकर देवी ने अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विदेश मंत्रालय से मदद की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि, प्रोफेसर मटुक नाथ का प्रेम झूठा और पाखंड है। जिस लड़की ने घर-परिवार, समाज सब छोड़ कर उनका साथ दिया था, आज उसी को उन्होंने इस हालत में छोड़ दिया है। देवी ने कहा कि, वह किसी भी कीमत पर अपनी सहेली को भारत ला कर उसका इलाज करायेगी।

2006 में खूब सुर्खियां बटोरी थीं प्रोफेसर मटुक नाथ ने

गौरतलब है कि, प्रोफेसर मटुक नाथ और जूली की प्रेम कहानी 2006 में सामने आयी थी। दोनों ने मीडिया के सामने खुलकर अपने प्रेम की बात कबूल की थी। दोनों की पहली मुलाकात 2004 में हुई थी। तब जूली प्रोफेसर मटुक नाथ की छात्रा थी। उसके बाद जूली 2007 से 2014 तक एक-दूसरे के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे। 2006 में मामला सामने आने के बाद दोनों ने अपने-अपने परिवारों से नाता तोड़ लिया था। उस समय प्रोफेसर मटुक नाथ बुरी तरह से विवादों में घिर गये थे। समाज का एक बड़ा वर्ग जहां उन पर गुरु-शिष्य संबंध को कलंकित करने और अपने से 30 साल छोटी छात्रा का जीवन बर्बाद करने का आरोप लगा कर उन्हें कोस रहा था, तो वहीं दूसरी ओर समाज का कथित रूप से प्रगतिशील तबका उनके प्यार और हिम्मत की दाद देते नहीं अघा रहा था। यही वजह थी कि कभी प्रोफेसर मटुक नाथ को जूते खाने पड़ते थे, मुंह पर कालिख पुतवानी पड़ती थी, तो कभी उन्हें माला पहनाकर उनकी शान में कसीदे भी पढ़े जाते थे। 2014 में जूली उन्हें छोड़कर त्रिनिदाद चली गयी, जहां वह बीमार पड़ गयी है। अब प्रोफेसर मटुक नाथ को नीच, जलील और लम्पट मानने वाले लोग तो इसे ऐसे कर्म की स्वाभाविक परिणति मान ही रहे हैं, लेकिन तब उन्हें लव गुरु का खिताब देकर महिमा मंडित करने वाले प्रगतिशील तबके की प्रतिक्रिया का अब भी इंतजार है।

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